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ज्वालामुखीयों का विश्व वितरण (World distribution of Volcanoes), विश्व की प्रमुख ज्वालामुखी मेखलाऐं ,विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य उनकी स्थिति एवं विशेषताएंँ

📝... ज्वालामुखीयों का विश्व वितरण (World distribution of Volcanoes) :-
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार विश्व के अधिकांश सक्रिय ज्वालामुखी प्लेट की सीमाओं के साथ संबंधित है। इस सिद्धांत के अनुसार 80% ज्वालामुखी विनाशात्मक प्लेट किनारों पर तथा 15% रचनात्मक प्लेट किनारों पर एवं शेष प्लेट के आंतरिक भागों में पाए जाते हैं। जैसे हवाई द्वीप के ज्वालामुखी प्रशांत महासागरीय प्लेट के अंदर पूर्वी अफ्रीका की भ्रंश घाटी क्षेत्र के ज्वालामुखी अफ्रीकन प्लेट के अंदर पाए जाते हैं। ज्वालामुखी की परंपरागत वितरण प्रणाली एवं प्लेट विवर्तनिकी के आधार पर अभिनव वितरण प्रणाली को मिलाकर ज्वालामुखीयों की निम्न मेखलाबद्ध वितरण प्रणाली प्रस्तुत की गई है।
(1.) परीप्रशांत महासागरीय मेखला या विनाशी प्लेट किनारों के ज्वालामुखी(Circumstances Pacific Belt) :- विश्व के ज्वालामुखीयों का लगभग दो तिहाई भाग प्रशांत महासागर के दोनों तटीय भागों, द्वीपीय चापो तथा समुद्री द्विपों के सहारे पाये जाते है। ज्वालामुखीयों की इस श्रृंखला को प्रशांत महासागर का ज्वालावृत (Fire ring of Pacific Ocean) के नाम से जाना जाता है। 
इस पेटी का विस्तार अंटार्कटिका के इरेबस पर्वत से लेकर दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट के सहारे एंडीज पर्वतमाला के सहारे-सहारे उत्तरी अमेरिका के राॅकी पर्वत के ज्वालामुखीयों को शामिल करते हुए पश्चिमी तटीय भागों के सहारे अलास्का तक है। यह श्रृंखला यहां से मुड़कर एशिया के पूर्वी तटीय भाग के सहारे जापान द्विप समूह तथा फिलीपाइन द्विप समूह के ज्वालामुखी पर्वतों को शामिल करती हुई। पूर्वी द्विप समूह पर पहुंँचकर मध्य महासागरीय पेटी में मिल जाती है। विश्व के अधिकांश ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत परीप्रशांत महासागरीय मेखला में ही पाए जाते हैं। इस पेटी में अधिकांश ज्वालामुखी श्रृंखलाबद्ध रूप में पाए जाते हैं। उदारहण :-
1.) अल्युशियन, जापान द्विप समूह तथा हवाई द्वीप के ज्वालामुखी श्रेणीबद्ध रूप में पाए जाते हैं।
2.) इक्वेडोर के ज्वालामुखी यहांँ पर 22 प्रमुख ज्वालामुखी पर्वत समूह पाए जाते हैं।
• कोटोपैक्सी ज्वालामुखी पर्वत विश्व का सबसे ऊंँचा ज्वालामुखी पर्वत है। जिसकी ऊंचाई 19613 फीट है।
3.) इस श्रृंखला में जापान का प्रसिद्ध ज्वालामुखी पर्वत फ्यूजीयामा
(4.) फिलीपाइन का माउंटताल, माउंट मेंयान तथा पीनटूबो
5.) संयुक्त राज्य अमेरिका का शास्ता,रेनियर,हुड़
6.) मध्य अमेरिका का चिंम्बराजो
• इस मुख्य मेखला के अलावा प्रशांत महासागर में विस्तृत असंख्य द्विपों पर अनेक जागृत, प्रसुप्त, एवं प्रशांत ज्वालामुखी पाए जाते हैं। 
• यहांँ के ज्वालामुखीयों का उदभेदन अमेरिकन तथा प्रशांत महासागरीय प्लेटों तथा प्रशांत महासागरीय एवं एशियाई प्लेटों के अभिसरण के कारण होता है। 
(2.) मध्य महाद्वीपीय मेखला या महाद्वीपीय प्लेट अभिसरण मेखला (Mid-continental Belt) :- इस मेखला का प्रारंभ रचनात्मक प्लेट किनारों अर्थात मध्य अटलांटिक महासागरीय कटक (अपसरण मंडल) से होता है। यद्यपि अधिकांश ज्वालामुखी इस मेखला में विनाशी प्लेट किनारों के सहारे पाए जाते हैं। क्योंकि यूरेशियन प्लेट तथा अफ्रीकन एवं इंडियन प्लेटो का अभिसरण होता है। यह मेखला आइसलैंड (जो कि मध्य अटलांटिक कटक के ऊपर स्थित है) के हेकला पर्वत से प्रारंभ होती है। यहाँ दरारी उदगार वाले ज्वालामुखी पाए जाते हैं। आइसलैंड से यह मेखला स्कॉटलैंड होती हुई, कनारी द्वीपों (आंध्र महासागर) पर पहुंचती है यहांँ पर इसकी दो शाखाएं हो जाती है।
• एक शाखा आंध्र महासागर से होती हुई, पश्चिमी द्वीप समूह की ओर चली जाती है।
• जबकि दूसरी शाखा अफ्रीका की ओर चली जाती है। जहाँ ज्वालामुखी पूर्वी अफ़्रीका की भूभ्रंश घाटी के सहारे पाए जाते हैं।
• एक शाखा स्पेन इटली होती हुई काकेशिया तक जाती है। यहांँ से यह हिमालय पर्वत के सहारे म्यानमार होती हुई म्यानमार से दक्षिण की तरफ मुड़कर दक्षिणी पूर्वी द्विप समूह में जाकर प्रशांत महासागरीय पेटी में मिल जाती है।
• यह मेखला यूरेशिया महाद्वीप के मध्यवर्ती भागों में नवीन वलित पर्वतों के सहारे पूर्व से पश्चिम की ओर फैली हुई है।
• यह आइसलैंड से प्रारंभ होकर स्कॉटलैंड होती हुई। अफ़्रीका के कैमरून पर्वत की ओर जाती है। कनारी द्विपों पर इस की दो शाखाएं हो जाती है।(1.) पूर्वी शाखा:- पूर्व की ओर वाली शाखा स्पेन, इटली, सिसली, तुर्की,काकेशिया,आर्मेनिया, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, म्याँमार और मलेशिया होती हुई, इंडोनेशिया तक विस्तृत है।
• इसके अतिरिक्त एक शाखा अरब में जॉर्डन की भ्रंश घाटी एवं लाल सागर होती हुई, अफ़्रीका की विशाल भूभ्रंश घाटी तक विस्तृत है। 
(2.) पश्चिमी शाखा :- पश्चिम की ओर वाली शाखा कनारी द्विपों से पश्चिमी द्वीप समूह तक जाती है।
• यूरोप की राइन भ्रंश घाटी में अनेक विलुप्त ज्वालामुखी पाए जाते हैं।
• यह मेखला मुख्य रूप से अल्पाइन, हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के सहारे सहारे चलती है।
• भूमध्य सागर के ज्वालामुखी भी इसी पेटी के अंतर्गत आते हैं। भूमध्य सागर के प्रसिद्ध ज्वालामुखी स्ट्रांबोली, विसुवियस, एटना तथा एजियन सागर के ज्वालामुखी इस मेखला के ही अंग है।
• इस मेखला में ईरान का देवबंद, कोहे सुल्तान काकेशस का एल्बुर्ज,आर्मीनिया का अरारात तथा बलूचिस्तान के ज्वालामुखी शामील है।
• भारत का एकमात्र ज्वालामुखी बैरन द्वीप इसी मेखला का अंग है।
• यूरोप के अधिकांश ज्वालामुखी इसी पेटी में मीडियन मास के सहारे पाए जाते हैं। भूमध्य सागर के ज्वालामुखी इसके प्रमुख उदाहरण है
👉 • नोट :- एशिया का मीडियन मास अर्थात तिब्बत का पठार ज्वालामुखीयों से रहित है। इसका प्रमुख कारण पठार की अत्यधिक ऊंँचाई का होना बताया जाता है।
• अफ्रीका के ज्वालामुखी भूभ्रंश घाटी में के सहारे पाए जाते हैं। जैसे किलिमंजारो, मेरु, एल्गन बिरुन्रूंगा, रंगवी ।
• पश्चिमी अफ्रीका का एकमात्र जागृत ज्वालामुखी कैमरून पर्वत है।
(3.) मध्य अटलांटिक मेखला या मध्य महासागरीय कटक के ज्वालामुखी (Mid Atlantic Belt) :-  मध्य महासागरीय कटक के सहारे दो प्लेटों का अपसरण होता है। जिस कारण कटक के सहारे दरार या भ्रंश का निर्माण होता है। इस भ्रंश का प्रभाव क्रस्ट के नीचे दुर्बलता मंडल तक होता है।दुर्बलता मंडल से पेरिडोटाइट तथा बेसाल्ट मैग्मा ऊपर की ओर ऊठते है। इसके शीतलन से नवीन क्रस्ट का निर्माण होता है। कटक के पास नवीनतम लावा होता है एवं कटक से दूर लावा प्राचीन होता है।
• इस तरह ज्वालामुखी क्रिया सबसे अधिक मध्य अटलांटिक कटक के सहारे संपन्न होती है।
• आइसलैंड इस मेखला का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र है। यहाँ लाकी, हेकला एवं हेल्गाफेल ज्वालामुखी पाए जाते हैं।
• दक्षिणी अटलांटिक महासागर का लेसर एण्टलीज, उत्तरी अटलांटिक महासागर का अजोर्स द्वीप एवं सेंट हेलना इस मेखला के प्रमुख ज्वालामुखी क्षेत्र है।
(4.) अंतरा प्लेट के ज्वालामुखी (Intraplat Vulcanism) :- महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट के आंतरिक भागों में भी ज्वालामुखी क्रिया होती है। जिसका प्रमुख कारण माइक्रो प्लेटों की गतिविधियांँ एवं गर्म स्थल संकल्पना को माना जाता है। हालांकि प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत द्वारा अभी तक इस तथ्य का स्पष्टीकरण पूर्ण तरीके से नहीं हो पाया है।
• इस मेखला की एक प्रमुख श्रृंखला हवाई द्विप से प्रारंभ होकर उत्तर पश्चिम दिशा में कमचटका प्रायद्वीप तक विस्तृत है।
👉 • नोट :- केवल हवाई द्विप पर ही ज्वालामुखी उदभेदन द्वारा भूकम्प आते हैं।जबकि यह संपूर्ण श्रृंखला भूकम्प रहित है। इसी कारण इसे भूकम्प रहित कटक के नाम से भी जाना जाता है।
• महासागरीय प्लेटों के अलावा महाद्वीपीय प्लेटों के आंतरिक भागों में भी ज्वालामुखी का दरारी उदभेदन देखने को मिलता है।
• कोलंबिया पठार, भारतीय प्रायद्वीपीय पठार, ब्राजील पठार एवं पराग्वे का पराना पठार आदि का निर्माण दरारें उदभेदन के फलस्वरुप हुआ है।
• पूर्वी अफ़्रीका के भ्रंश घाटी क्षेत्र के ज्वालामुखी भी अंतरा प्लेट ज्वालामुखीयों के उदाहरण है। इस श्रृंखला के अंतर्गत हवाई द्वीप से लेकर कमचटका प्रायद्वीप तक के ज्वालामुखी, पूर्वी अफ़्रीका के भ्रंश घाटी के ज्वालामुखी एवं ज्वालामुखी के दरारी उदभेदन से बने कोलंबिया-स्कनै पठार, पराना पठार, दक्कन ट्रैप, ड्रैकेन्सबर्ग पठार, अंतरा प्लेट ज्वालामुखी क्रियाओं के अंतर्गत शामिल किए जाते हैं
📝• महत्वपूर्ण बिंदु :-
• प्रशांत महासागरीय मेखला को अग्नि वलय कहते हैं।
• अंटार्कटिका महाद्वीप का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी माउंट इरेबस है।
• ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में एक भी ज्वालामुखी नहीं पाया जाता है।
• विश्व का सबसे ऊंँचा ज्वालामुखी पर्वत इक्वेडोर का कोटोपैक्सी है।
• स्ट्रांबोली (इटली) ज्वालामुखी को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ कहा जाता है।
• पीलीयन तुल्य ज्वालामुखी केंद्रीय उदभेदन  वाले ज्वालामुखी होते है।इनमें सर्वाधिक  विनाशकारी एवं भयंकर विस्फोट होता है।
• विश्व का सर्वाधिक ऊंँचाई पर स्थित सक्रिय ज्वालामुखी ओजस डेल सालादो है। यह 6885 मीटर उँचा है। यह एंडीज पर्वत में चिलि तथा अर्जेंटीना की सीमा पर स्थित है।
• ज्वालामुखी के दरारी उदभेदन के फलस्वरुप लावा के धरातलीय प्रवाह के जमाव से लावा पठार तथा लावा मैदान का निर्माण होता है।
• ज्वालामुखी क्रेटर में वर्षा जल एकत्र होने से क्रेटर झील का निर्माण होता है। भारत में महाराष्ट्र की लोनार झील, दक्षिणी अमेरिका की टिटिकाका झील एवं अफ्रीका की विक्टोरिया झील क्रेटर झील का उदाहरण है।
• गर्म स्थल (Concept of hot spot) संकल्पना का प्रतिपादन जेसन मार्गन एवं टुजो विल्सन ने किया था।
• विसुवियस (इटली) ज्वालामुखी के उद्गार के फलस्वरूप पोम्पई, हरक्यूलिस,पाम्पर और स्टीबी नगर पूर्णतया नष्ट हो गए थे।
• पीनटूबो ज्वालामुखी फिलीपाईन में पाया जाता है।
• संसार के सर्वाधिक सक्रिय ज्वालामुखी किलायु, माउंट एटना एवं पिटनडीला फोरनेस है।
• क्राकातोआ ज्वालामुखी जावा तथा सुमात्रा के मध्य स्थित सुंडा जलडमरूमध्य में स्थित है।
• विश्व का सर्वाधिक ऊंँचाई पर स्थित मृत ज्वालामुखी एकांकागुआ है। यह एंडीज पर्वत में 6960 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
• संसार का सबसे बड़ा ज्वालामुखी मोनालोआ है। यह  हवाई द्विप पर है।
• सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्ञात ज्वालामुखी ओलंपस मोंस है। जो मंगल ग्रह पर स्थित है।
• मैफिक लावा में मैग्नीशियम तथा लौह अंश की प्रधानता होती है।
• रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे अर्थात महासागरीय अपसरण मंडल का लावा बेसाल्ट मैग्मा से निकलता है। यह मैफिक प्रकार का लावा होता है।

Comming soon... Next part of Volcano... 
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