एस्किमो जनजाति (Eskimo)
📝... सामान्य परिचय :- शीत प्रधान टुंड्रा प्रदेश अत्यधिक शीतल तथा हिमाच्छादित क्षेत्र है। यह प्रदेश आर्कटिक महासागर के चारों ओर विस्तृत है। इसके अंतर्गत ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा तथा यूरेशिया के उत्तरी भाग सम्मिलित है। यह समस्त प्रदेश लगभग जनविहीन प्रदेश है। आर्कटिक और अंटार्कटिक टुंड्रा प्रदेशों में मानव व्यवहार मुख्यतया पर्यावरण द्वारा नियंत्रित है। आर्केटिक प्रदेश पर्यावरण नियतिवाद का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहांँ निवास करने वाली जनजातियों की आधारभूत आवश्यकताऐं (भोजन, वस्त्र, निवास,उपकरण इत्यादि) सामाजिक, आर्थिक, संरचना और सांस्कृतिक परम्परायें पर्यावरणीय कारकों के द्वारा अत्यधिक प्रभावित हैं। इस प्रदेश में मनुष्य अभी भी विकास की प्रारंभिक अवस्था में है। उसका जीवन अर्द्ध भ्रमणशील है और वह अपने भरण-पोषण के लिए निर्जन आर्कटिक क्षेत्र के कठोर पर्यावरण में आखेट, मछली मारने एवं संग्रहण पर निर्भर है। आर्कटिक व टुंड्रा प्रदेश में विभिन्न जन जातियांँ पाई जाती हैं। इन्हें विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
1. उत्तरी कनाडा एवं ग्रीनलैंड - एस्किमो
2. स्कैंडिनेविया - लैपस या सामी
3.उत्तरी साइबेरिया - सैमोयडस, याकूत,चुकची, तुगं, ओस्तमाक, यूकाधीर, कोरयाक
ये समस्त जातियांँ आखेटक एवं पशुचारक है। इन जनजातियों में एस्किमो उन्नतशील एवं विकसित जनजाति है।
📝... एस्किमो जनजाति (Eskimo) :-
एस्किमो शब्द का तात्पर्य कच्चा मांँस खाने वाला होता है। एस्किमो लोग स्वयं के लिए इन्युत शब्द का प्रयोग करते है। जिसका तात्पर्य सच्चे लोग होता है।
👉 एस्किमो लोगों का निवास क्षेत्र(Habitant of Eskimo) :- एस्किमो लोग शीत प्रधान प्रदेश में अलास्का, कनाडा, ग्रीनलैंड एवं उत्तरी साइबेरिया में निवास करते है।
• एस्किमो मुख्यतः उत्तरी कनाडा के मूल निवासी है।
• एस्किमो लोगों के निवास का विस्तार अलास्का से लेकर बेरिंग जलडमरूमध्य तक पाया जाता है। • ग्रीनलैंड में एस्किमो लगों का निवास क्षेत्र 65 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 80 डिग्री उत्तरी अक्षांशों के मध्य पाया जाता है।
• वर्तमान में एस्किमो लोगों का मुख्य निवास बेफिन द्वीप और हडसन की खाड़ी के उत्तरी भागों में 7 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 70 डिग्री उत्तरी अक्षांशों के मध्य पाया जाता है।
👉 शारीरिक लक्षण (Physical Traits) :- एस्किमो जनजाति का संबंध मंगोलॉयड प्रजाति से माना गया है। इनका कद छोटा, चपटा और चेहरा लंबा, चपटी नाक और चमड़ी का रंग पीला भूरा तथा लंबे मोटे काले बाल होते है। इनके वस्त्र रेन्डयर की खाल अथवा सैमुर से बने होते है।
👉 प्राकृतिक वातावरण (Natural environment) :- एस्किमो लोगों का निवास मुख्यतः ध्रुवीय प्रदेश के निकट टुंड्रा प्रदेश है। इस क्षेत्र में कठोर ठंड पड़ती है। वर्ष के 9 महीने कठोर शीतल जलवायु के कारण धरातल तथा समुद्र हिमाच्छादित रहता है। वर्ष के केवल 3 महीने ही बसंत, गर्मी और पतझड़ का समय है। सर्दियों का औसत तापमान स्थलीय भागों पर -20 डिग्री सेल्सियस तथा सागर तटीय भागों पर - 35 डिग्री सेल्सियस पाया जाता है। जाड़े की ऋतु लंबी होती है और दिन बहुत छोटे होते है। सर्दियों में उत्तर दिशा से तेज बर्फीली आंधियां चलती हैं जिन्हें ब्लीजार्ड कहते है। ग्रीष्म ऋतु के मात्र 2 महीने मई और जून में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है। जिससे बर्फ पिघल जाती है और तटीय भूमि तथा सागर के कुछ भाग बर्फ से मुक्त हो जाते है। शीतल कठोर जलवायु तथा मिट्टी के अभाव के कारण यहांँ वनस्पति का अभाव पाया जाता है। ग्रीष्म काल में ही केवल शैवाल, काई, लिचेन, रंग बिरंगे फूलों के पौधे आदि धरातल पर देखे जा सकते है। लघु ग्रीष्म ऋतु के पश्चात हिमपात आरंभ हो जाता है। इस प्रदेश में वनस्पति की भांति जीव जंतुओं का भी अभाव पाया जाता है। जीव जंतुओं में यहांँ पर रेन्डयर ,कस्तूरी मृग, ध्रुवीय भालू, खरगोश, लोमड़ी, गिलहरियांँ आदि पाए जाते है। हंँस, बतखें, टारमीगन आदि पक्षी समूह भी मिलते है। समुद्री जीवों में सील मछली, वालरस, व्हेल मछली आदि पायी जाती है।
👉 आर्थिक क्रियाकलाप (Economic activity):- एस्किमो लोगों के जीवन यापन का एकमात्र साधन आखेट या शिकार करना है। एस्किमो लगों द्वारा शीतकाल एवं ग्रीष्म काल में विभिन्न विधियों से शिकार किया जाता है।
(1.) शीतकालीन आखेट :- इस ऋतु में एस्किमो द्वारा धरातलीय भागों पर सील मछली का शिकार किया जाता है। इसकी निम्नलिखित विधियांँ है।
(अ ) माऊपक विधि (Maupok) :- माऊपाक का तात्पर्य प्रतीक्षा करना होता है। इस विधि में एस्किमो लोगों द्वारा बर्फ पर छिद्र बनाकर हड्डी रख दी जाती है। तथा सील मछली के आने का इंतजार किया जाता है। सील मछली के आने पर हड्डी के हिलते ही हारपुन से सील मछली का शिकार कर लिया जाता है। शिकार की इस विधि को माऊपाक कहते है।
(ब ) इतुरपाक विधि (Iturpok) :- शिकार की इस पद्धति के अंतर्गत शिकारी द्वारा दो छिद्र बनाए जाते है। एक छिद्र पर शिकारी सील मछली को चारा डाल कर बुलाता है तथा दूसरे छिद्र के समीप खड़ा शिकारी संकेत मिलते ही सील का शिकार कर लेता है। शिकार की इस विधि को इतुरपाक कहते है।
(2.) बसंतकालीन आखेट :- एस्किमो लोगों द्वारा मार्च माह में अर्थात बसंतकाल में सील मछली का शिकार किया जाता है। बसंतकाल में सील मछली का शिकार चमड़े से बनी नाव में बैठकर किया जाता है। इस नाव को कयाक कहते है।
• सील मछली के बसंतकालीन आखेट को उतोक कहते है।
• ग्रीष्म कालिन आखेट :- ग्रीष्म काल में एस्किमो लोगों द्वारा धनुष बाण एवं हारपून से करीबों, रेनडियर, ध्रुवीय भालू, आदि का शिकार किया जाता है। एस्किमो लोग शिकार के लिए कुत्तों का उपयोग करते है।
•एस्किमो लोगों द्वारा ग्रीष्म काल एवं बसंत काल में समुद्र तटीय क्षेत्रों में वालरस, व्हेल मछली, पक्षियों, खरगोश, लोमड़ी आदि का शिकार किया जाता है।
👉 भोजन ( Food) :- एस्किमो लोगों का मुख्य भोजन कच्चा मांँस होता है। मांँस को उबालकर भी खाया जाता है। एस्किमो लोगों के भोजन का स्रोत सील मछली, सी लाॅयन, वालरस, व्हेल मछली, रेनडियर,कैरीबो, लोमड़ी, खरगोश एवं विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी है। जिनका शिकार करके ये अपना भोजन प्राप्त करते है।
👉 वस्त्र ( Clothes) :- एस्किमो लोगों के द्वारा विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहने जाते है। एस्किमो लोगों के वस्त्र रेनडियर, कैरीबो, सील मछली, ध्रुवीय भालू आदि की खाल से बने होते है। वस्त्र बनाने का कार्य मुख्यतया स्त्रियों द्वारा किया जाता है। एस्किमो लोगों द्वारा पहने जाने वाले प्रमुख वस्त्र इस प्रकार है।
(1) तिमियाक (Timiyak):- एस्किमो लोगों के द्वारा एक जर्सीनुमा बांहदार वस्त्र पहना जाता है। इसे तिमियाक कहते है।
(2) अनोहक (Anohak):- तिमियाक वस्त्र के ऊपर पहने जाने वाले लंबे कोटनुमा वस्त्र कोअनोहक कहा जाता है।
(3) कार्मिक या मुक्लुक्स (Karmak or mukluks ) :- एस्किमो लोगों द्वारा सील मछली की खाल से निर्मित जूते पहने जाते हैं। इन्हें कार्मिक या मुक्लुक्स कहते है।
👉 एस्किमो लोगों का निवास गृह (Habitant) :- एस्किमो लोगों द्वारा शीतकाल एवं ग्रीष्म काल में विभिन्न प्रकार के स्थाई एवं अस्थाई आवास निर्मित किए जाते है। एस्किमो लोगों द्वारा समुद्र तटीय क्षेत्रों में पत्थरों से स्थाई अधिवास का निर्माण किया जाता है। एस्किमो लोगों द्वारा शीतकाल एवं ग्रीष्म काल में अलग-अलग प्रकार के निवास गृह निर्मित किये जाते है। ये इस प्रकार है।
(1) इग्लू (Igloo) :- एस्किमो लोगों द्वारा शीत ऋतु में बर्फ के टुकड़ों को हाथी दांँत के चाकू से काट कर अस्थाई बर्फ के घर का निर्माण किया जाता है। इसे इग्लू कहते है। इग्लू को अंदर से सील मछली की खाल से मंडा जाता है। इसे गर्म रखने के लिए सील मछली की चर्बी को जलाया जाता है। इग्लू का दरवाजा बहुत छोटा होता है। जिसमें रेंग कर प्रवेश किया जाता है। बड़े इग्लू का व्यास 4 मीटर और ऊंँचाई 3 मीटर होती है।
(2) कर्मक (Karmak) :- एस्किमो लोगों द्वारा बर्फ के धरातल खोदकर 5 से 6 फिट भूमिगत एवं 2 से 3 फीट ऊपर उठे व्हेल मछली की हड्डियों एवं लकड़ी के ढांचे से आवास का निर्माण किया जाता है। इस आवास को कर्मक कहते हैं। कर्मक का प्रवेश द्वार एक भूमिगत सुरंग से जुड़ा होता है।
(3) टयुपिक्स या स्यूपिक्स (Tsupics) :- एस्किमो लोगों द्वारा ग्रीष्मकाल में शिकार के दौरान तंबुओं का निर्माण किया जाता है। ये तंबू सील मछली की खाल से निर्मित होते है। इन तंबुओं को टुपिक्स या स्यूपिक्स कहते है।
👉 यंत्र एवं उपकरण :-
(1) कयाक (Kayak) :- एस्किमो लोगों द्वारा सील मछली के शिकार हेतु सील मछली के चमड़े से निर्मित नाव का प्रयोग किया जाता है। यह नाव 5 मीटर लंबी एवं 1.5 मीटर चौड़ी होती है। इसे कयाक कहते है।
(2) उमियाक (Umiyak) :- एस्किमो लोगों द्वारा व्हेल मछली के शिकार के लिए बड़ी नाव का उपयोग किया जाता है। यह नाव सील मछली के चमड़े से निर्मित होती है। इस बड़ी नाव को उमियाक कहते है।
(3) हारपून (Harpoon) :- एस्किमो लोगों द्वारा सील मछली के शिकार हेतु प्रयुक्त होने वाले भाले को हारपून कहते है। हारपूनकका निर्माण व्हेल तथा वालरस की हड्डियों से किया जाता है। इसकी लंबाई 1.2 मीटर से 1.5 मीटर के मध्य होती है।
• एस्किमो लोगों द्वारा सील मछली की हड्डियों से निर्मित चाकू का प्रयोग मांँस ,चमड़ा एवं बर्फ को काटने के लिए किया जाता है। वस्त्रों की सिलाई के लिए सील मछली की हड्डियों से सुई बनाई जाती है।
(4) स्लेज (Sledge) :- एस्किमो लोगों द्वारा यातायात के साधन के रूप में बर्फ पर चलने वाली पहिया विहीन गाड़ी का उपयोग किया जाता है। इसे स्लेज कहते है। स्लेज को रेन्डियर एवं कुत्तों के द्वारा खींचा जाता है। स्लेज का निर्माण वालरस की हड्डियों से किया जाता है।
(5) एस्किमो लोगों द्वारा ध्रुवीय बर्फ की चमक से बचने हेतु वालरस के दाँतों से निर्मित चश्मे का उपयोग भी किया जाता है।
👉 समाज एवं संस्कृति (society or culture) :-
• एस्किमो लोगों का समाज पितृवंशीय समाज है। एस्किमो लोग लोग छोटे-छोटे समूहों में निवास करते है। परिवार में सबसे वृद्ध व्यक्ति का अत्यधिक सम्मान किया जाता है। वही परिवार का मुखिया होता है। उसी के द्वारा शिकार एवं अधिवास निर्मित करने का निर्णय लिया जाता है। इसी के द्वारा उत्सव एवं समारोह की अध्यक्षता की जाती है। इसका समुदाय के सदस्यों पर विशेष अधिकार होता है।
• एस्किमो लोगों द्वारा किए गए आखेट को वृद्ध पुरुष को सौंप दिया जाता है। जिसका बँटवारा उसकी पत्नी के द्वारा किया जाता है।
• एस्किमो लोगों द्वारा युवाओं को कठोरता से रेन्डियर और कैरीबो के शिकार का प्रशिक्षण दिया जाता है।
• एस्किमो लोगों द्वारा ग्रीष्म काल में उत्सव एवं समारोह मनाए जाते है। ऐसे अवसरों पर आखेट, युवाओं के बीच शक्ति प्रदर्शन, जादूगरों के बीच जादुई प्रदर्शन इत्यादि प्रतिस्पर्धायें आयोजित की जाती है।
• एस्किमो लोग एक शांतिप्रिय प्रजाति है। इन लोगों के मध्य विवाद एवं झगड़े कम होते है।
• साइबेरिया में निवास करने वाले एस्किमो लोगों द्वारा मौन व्यापार किया जाता है।
• एस्किमो लोगों का धर्म जीववादी है। ये जानवरों और प्राकृतिक वस्तुओं में आत्मा एवं प्रेतआत्माओं का निवास मानते है।
• एस्किमो लोग जादू टोने में भी अत्यधिक विश्वास करते है। यह अत्यधिक अंधविश्वासी होते है।
• एस्किमो लोगों में बहु पत्नी प्रथा पायी जाती है। विवाह पूर्व निर्धारण के आधार पर किए जाते है। जो पूर्णतया सफल होते है। एस्किमो समाज में प्रेम के बिना विवाह का नियम है। एस्किमो लोगों के अनुसार यदि प्रेम होता है। तब इसे विवाह के कुछ महीनों बाद ही होना चाहिए।
• एस्किमो लोगों की संस्कृति और पहचान उनके द्वारा प्रदेश के वन्य प्राणी एकत्रित करने और पारिस्थितिक तंत्र को सुरक्षित रखने की सामर्थ्य पर निर्भर है।
• एस्किमो लोगो द्वारा एल्यूट भाषा बोली जाती है। ग्रीनलैंड एवं पश्चिमी अलास्का में निवास करने वाले एस्किमो लोगों द्वारा इन्यूपिक (Inupik) बोली जाती है।
• दक्षिणी पश्चिमी अलास्का एवं साइबेरिया में निवास करने वाले एस्किमो लोगों द्वारा यूपिक (Yupik) भाषा बोली जाती है।
• कभी-कभी शीतकाल में भोजन की अत्यधिक कमी होने के कारण एस्किमो लोगों में बूढ़े व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या कर ली जाती है।
📝... प्राकृतिक पर्यावरण एवं उसके साथ समायोजन :- एस्किमो लोगों के निवास क्षेत्र में कठोर ठंड पड़ती है। धरातल वर्ष के लगभग 9 माह हिमाच्छादित रहता है तथा उत्तर दिशा से तेज बर्फीली आंधियां चलती है। जिन्हें ब्लीजार्ड कहते है। एस्किमो लगों का प्राकृतिक वातावरण के साथ समायोजन पर्यावरण नियतिवाद (Environmental Determinism) का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
📝... आधुनिक संस्कृति से संपर्क :- एस्किमो लोगों का 1960 के दशक के बाद यूरोपीय एवं अमेरिकी लोगों से संपर्क अधिक बड़ा है। जिससे इनके सामाजिक आर्थिक परिवेश में तीव्र गति से परिवर्तन हुए है। एस्किमो लोगों की जीवन शैली इन लोगों के संपर्क में आने के बाद तीव्रता से बदल रही है। ये लोग भरण पोषण व्यवस्था से तंग आकर सैमूर का व्यापार करने लगे है। इनके प्रदेश में खनिजों का उत्पादन होने से लोग खदानों में काम करने लगे है। हालांकि इनका जीवन परिवर्तित हो रहा है। फिर भी आर्केटिक प्रदेश में भौतिक पर्यावरण की भूमिका असाधारण रूप से इनके जीवन को प्रभावित करती है।
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