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अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट (Alex Von Humboldt)का भूगोल में योगदान हंबोल्ट की प्रमुख पुस्तकें, विधि तंत्र एवं संकल्पनाएं ,contribution in geography,pdf, father of ecology, theory, German geographer,

सामान्य परिचय :-
खोज एवं आविष्कारों के महान युग के पश्चात आधुनिक भूगोल की स्थापना का श्रेय जर्मन विद्वानों को जाता है। 1750 से 1850 की अवधि में आधुनिक भूगोल की स्थापना करने में जर्मन विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान है। भूगोल में 19वीं शताब्दी का काल आधुनिक शास्त्रीय युग के नाम से जाना जाता है।
 19वीं शताब्दी में आधुनिक भूगोल की वास्तविक स्थापना जर्मनी के दो महान भूगोलवेत्ता हम्बोल्ट तथा रिटर द्वारा की गई। 19वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध हम्बोल्ट व रिटर का कॉल था। इसे भूगोल में चिर-सम्मत प्रतिष्ठित काल या आधुनिक शास्त्रीय काल के नाम से जाना जाता है। हम्बोल्ट व रिटर दोनों को आधुनिक भूगोल का संस्थापक माना जाता है। इन दोनों जर्मन विद्वानों ने बर्लिन में 30 वर्षों तक रहकर अध्ययन, चिंतन एवं लेखन कार्य किया।
📝  हम्बोल्ट का जीवन परिचय एवं शिक्षा :-
 हम्बोल्ट एक महान जर्मन भूगोलवेत्ता थे। इनका जन्म जर्मनी में प्रशा के एक संपन्न परिवार में 14 सितंबर 1769 को हुआ था। जब यह 10 वर्ष के थे, उसी समय इनके पिता का देहांत हो गया। हम्बोल्ट का पूरा नाम Friedrich Wilhelm Heinrich Alexander Von Humboldt  था। हम्बोल्ट ने जर्मनी और जर्मनी के बाहर भूगोल का प्रचार प्रसार किया।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा इनके गृह नगर टेगेल में हुई।
• हम्बोल्ट ने 18 वर्ष की उम्र में फ्रैंकफर्ट विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। यहांँ हम्बोल्ट ने वनस्पति विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान तथा खनिज विज्ञान में अध्ययन किया। यहांँ इन्होंने प्रसिद्ध भूगर्भ वैज्ञानिक ए.जी. वॉर्नर के निर्देशन में अध्ययन किया। ए.जी. वॉर्नर ने परतदार चट्टानों के निर्माण में अपनी परिकल्पना प्रस्तुत की जिससे उनको काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी।
• 1789 में गाटींगन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहां उनका संपर्क वनस्पति विज्ञानी जार्ज फॉरेस्टर से हुआ। हम्बोल्ट ने फॉरेस्टर के साथ मिलकर राइन नदी से नीदरलैंड होते हुए इंग्लैंड की यात्रा की।
 • हम्बोल्ट ने उच्च शिक्षा के लिए 1790 में हैंबर्ग के वाणिज्य महाविद्यालय में प्रवेश लिया।
 • 1791 में हम्बोल्ट ने खनिज विज्ञान की उच्च शिक्षा हेतु फाईबर्ग एकेडमी ऑफ साइंस में प्रवेश लिया एवं यहां वर्नन के निर्देशन में अध्ययन किया। 
• हम्बोल्ट ने अर्थशास्त्र, इतिहास, शास्त्रीय विषयों, गणित एवं तकनीकी में अध्ययन कर सेना में सेवा से अपना कैरियर प्रारंभ किया था। हम्बोल्ट की मांँ ने हम्बोल्ट को अर्थशास्त्र के अध्ययन के लिए प्रेरित किया था।
• हम्बोल्ट ने 1792 से 1796 के मध्य प्रशा राज्य के खनिज मंत्रालय में नौकरी की थी। यहांँ हम्बोल्ट को (1792 में प्रशा में ) खानों के निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। उसने यहांँ विभिन्न चट्टानों पर चुंबकीय विचलन के प्रभावों का अध्ययन किया तथा 1793 में अपना प्रथम शोध पत्र प्रकाशित किया। हम्बोल्ट ने आल्पस पर्वत की चट्टानों की संरचना के अध्ययन का प्रयास किया इसके लिए उसने ऑस्ट्रिया, स्वीटजरलैंड, इटली तथाबवेरिया की यात्राएं की। 1797 में अपने पद से त्यागपत्र देकर हम्बोल्ट नवीन तथा अज्ञात देशों की यात्रा के नियोजन में जुट गया। उसने पेरिस में अनेक यंत्रों को प्रयोग में लाना तथा उनसे मापन करना सीखा।
हम्बोल्ट ने वायुदाब मापी एवं एनीरॉयड वायुदाब मापी का प्रयोग करने में दक्षता हासिल की। 
हम्बोल्ट ने प्राकृतिक भूगोल की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
• हम्बोल्ट ने भूगर्भ विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, प्राणी शास्त्र, रसायन शास्त्र,भौतिकी, इतिहास शरीर विज्ञान, जलवायु विज्ञान,भू-आकारिकी विज्ञान एवं भूगोल की अनेक शाखाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
• इन्होंने लगभग 4000 मील की यात्राओं के दौरान अनेक सर्वेक्षण, अवलोकन एवं परीक्षणों द्ववारा वायुदाब,अक्षांश-देशांतर, समुद्र तल से ऊंचाई, चुंबकीय तरंगों, चट्टानों, वायु का तापक्रम, पादपों की जातियाँ व उनका जलवायु तथा उँचाई से संबंधों का विस्तृत अध्ययन किया। हम्बोल्ट ने मानवीय अभिवृत्ति का भी अध्ययन किया।
 📝. .  प्रमुख रचनाएं :-
(1.) फ्लोराए फ्राइबर  जेन्सिस :- हम्बोल्ट ने इस पुस्तक की रचना लैटिन भाषा में की है। इस पुस्तक में हम्बोल्ट ने खदानों में पाई जाने वाली वनस्पतियों के विषय में विस्तृत वर्णन किया है।
(2.)  जिओग्नाजिया :- हम्बोल्ट ने इस पुस्तक का प्रकाशन 1793 में किया। इस पुस्तक में हम्बोल्ट ने लैटिन भाषा में भूगोल हेतु 
" जिओग्नाजिया " शब्द का प्रयोग किया था। जिसे जर्मन में अर्डकुंडे तथा अंग्रेजी भाषा में ज्योगग्राफी कहते हैं।हम्बोल्ट ने इस बुक की भूमिका में लिखा की वनस्पतियों को भूगोल का अंग होना चाहिए।
(3.) नए महाद्वीप के भूमध्य रेखीय प्रदेश की यात्रा :- हम्बोल्ट  ने इस पुस्तक की रचना फ्रांसीसी भाषा में की है। इस पुस्तक में 30 अंक है। इसका प्रकाशन 1815 से 1820 के मध्य हुआ था। यह पुस्तक हम्बोल्ट की दक्षिणी अमेरिका की यात्रा पर आधारित है।
(4.) मेक्सिको और क्यूबा का प्रादेशिक भूगोल:- इस पुस्तक में हम्बोल्ट ने अपनी मेक्सिको यात्रा एवं क्यूबा यात्राओं का वर्णन किया है।
(5.) मध्य एशिया :- यह पुस्तक हम्बोल्ट द्वारा 1829 में दो खंडों में प्रकाशित की गई थी। इस पुस्तक में हम्बोल्ट ने साइबेरियाई रूस की यात्राओं का वर्णन किया है।
(6.) राइनलैंड बेसाल्ट :- यह हम्बोल्ट का शोध ग्रंथ है। जिसका प्रकाशन 1789 में किया गया था।
(7.) कॉसमास :- यह हंबोल्ट का सबसे अंतिम एवं महान महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसका प्रकाशन 1845 से 1862 के मध्य पांच खंडों में हुआ था।इसका अंतिम खंड हंबोल्ट की मृत्यु के पश्चात 1862 में प्रकाशित किया गया। यह क्रमबद्ध भूगोल का प्रमुख ग्रंथ है। इसकी रचना हम्बोल्ट ने जर्मन भाषा में की है। इसमें हम्बोल्ट ने प्रकृति की एकता पर जोर दिया है।
• प्रथम खंड में हंबोल्ट ने ब्रह्मांड के स्वरूप का सामान्य वर्णन किया है।
• द्वितीय खंड में हम्बोल्ट ने प्रकृति के चित्रण में मानवीय प्रयास का वर्णन किया है।
• तृतीय खंड इस में हम्बोल्ट ने खगोल विज्ञान का विस्तृत वर्णन किया है।
• चतुर्थ खंड में पृथ्वी कामानवीय गृह के रूप में वर्णन है।
• पंचम खंड में भी हम्बोल्ट ने पृथ्वी का मानवीय गृह के रूप में वर्णन किया है।
(8.) प्रकृति दिग्दर्शन:- हम्बोल्ट ने इस पुस्तक में प्रकृति का मानवीय जीवन पर प्रभाव का विस्तृत वर्णन किया है।
📝.. महत्वपूर्ण अभियान एवं खोज यात्राऐं :-
• हम्बोल्ट ने अपने जीवन काल में 5 वर्ष तक लगभग 64000 किलोमीटर लंबी खोज यात्राऐं की। 
• हम्बोल्ट 1799 में वनस्पतिशास्त्र विज्ञानी फ्रांसिस बोन प्लांड के साथ दक्षिणी अमेरिका की यात्रा पर निकले। हम्बोल्ट ने मेड्रिड पहुंचकर मार्ग में पड़ने वाले स्थानों के तापक्रम,  समुद्रतल से ऊंचाइयों की दैनिक माप ली तथा परीक्षण किया। हम्बोल्ट ने यहांँ स्पेनी मैसेटा (Spanish Maseta) का अध्ययन किया।
• हम्बोल्ट ने वेनेजुएला के कुमाना बंदरगाह (Cumana port) की यात्रा की। यहीं से हम्बोल्ट की अन्वेषण यात्रा का प्रारंभ माना जाता है। 
• हम्बोल्ट ने कुमाना बंदरगाह से समुद्र तट से होते हुए कराकस (Caracas) की यात्रा की, यहांँ स्थित वैलेंसिया झील को खोजा तथा उन्होंने बताया कि यह झील सिकुड़ चुकी है, क्योंकि इसके समतल तटों पर कृषि की जाती है। झील के सिकुड़ने का कारण हम्बोल्ट ने वन विनाश को बताया। हम्बोल्ट ने वनों और वर्षा के मध्य सकारात्मक संबंध स्थापित किया। उन्होंने बताया कि जहांँ वर्षा वनस्पति अधिक पाई जाती है, वहांँ वर्षा भी अधिक होती है। यह विचार आज भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
हम्बोल्ट ने 1800 ई. में ओरिनिको नदी (Orinico River) की  खोज की तथा इसके 2700 किलोमीटर लंबे बेसिन का सर्वेक्षण कार्य किया। हम्बोल्ट ने बताया कि ओरिनिको नदी का संबंध अमेजन नदी से है।
• हम्बोल्ट ने 1800 ई.में कुमाना ( क्यूबा ) लोटकर वहांँ की आर्थिक व सामाजिक दशाओं का अध्ययन किया।
 • 1801 में हम्बोल्ट कोलंबिया के बंदरगाह  कार्तेजेना ( Cartgona) पहुंचे, यहांँ इन्होंने एंडीज पर्वत का सर्वेक्षण किया। यहांँ से हम्बोल्ट एंडीज, इक्वेडोर और पेरू गए। यहांँ के पहाड़ी इलाकों की फसलों, वहांँ की ऊंचाई तापक्रम एवं वनस्पति का वैज्ञानिक अध्ययन किया। उन्होंने उत्तरी एंडीज क्षेत्र में लम्बवत कटिबंधों का भी अध्ययन किया। जो एक महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है। 
हम्बोल्ट ने इक्वाडोर के अनेक ज्वालामुखी क्रेटरों में ऊतर कर नि:सृत गैसों का अध्ययन किया। हम्बोल्ट चिम्बोराजो पर्वत की चोटी पर चढ़कर मानव शरीर पर ऊँचाई के प्रभाव का अध्ययन किया। हम्बोल्ट ने वायु के कम दबाव से चक्कर आने की स्थिति के अनुभव को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि यह स्थिति अधिक ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण उत्पन्न होती है।
• यहाँ से हम्बोल्ट ने पेरू के लिमा नगर पहुंँचकर समुद्र तट का सर्वेक्षण किया। इन्होंने पेरू के तट के समानांतर दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होने वाली ठंडी पेरू धारा की खोज की। यह एक ठंडी एवं कम लवणीय धारा है। वर्तमान में इस धारा को हम्बोल्ट धारा के नाम से भी जाना जाता है।
• 1803 में हम्बोल्ट ने मेक्सिको के भिन्न-भिन्न भागों का सर्वेक्षण किया तथा यहाँ के सांस्कृतिक दृश्य पर वहाँ के भू-आकारों के प्रभाव का अध्ययन किया। हम्बोल्ट ने मेक्सिको के लोगों की खुशहाली व संपन्नता का कारण वहांँ के भूमि संसाधनों का बेहतर तरीके से सदुपयोग बताया। इन्होंने इस्थमस ( Isthmus) के आर पार पनामा नहर ( Panama canal) बनाने का सुझाव दिया।
1806 ई. में हम्बोल्ट ने इटली के विसुवियस ज्वालामुखी का अवलोकन किया।
• 1829 में हम्बोल्ट को रूसी जार पिट्सबर्ग में आमंत्रित किया तथा यूराल  पर्वतों के उस पार साइबेरिया की अप्रयुक्त एवं अछूती भूमि पर खोज का कार्य सौंपा। हम्बोल्ट ने कैस्पियन सागर की तटीय मैदानी भूमि का सर्वेक्षण किया। इस अभियान के दौरान उन्होंने नियमित रूप से तापक्रम एवं वायुदाब के अंकन किया। हम्बोल्ट ने परीक्षणों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि समानदेशांतरों पर तट से आंतरिक भागों में जाने पर तापक्रम में बदलाव आता है। यहांँ पर हम्बोल्ट ने अल्टाई पर्वत श्रेणी का सर्वेक्षण कार्य भी किया। हम्बोल्ट के परीक्षण कार्यों के आधार पर रूसी जार ने अनेक मौसम विज्ञान केंद्रों की स्थापना रूस के विभिन्न भागों में की।
इस अभियान के पश्चात पहली बार समताप रेखा युक्त विश्व मानचित्र की रचना हो सकी। हम्बोल्ट द्वारा महाद्वीपीयता की अवधारणा स्थापित की गई।
सर्वप्रथम हम्बोल्ट ने बर्फ से जमी हुई साइबेरियाई मिट्टी के लिए परमाफ्ररोस्ट अर्थात स्थाई तुषारीत भूमि शब्द का प्रयोग किया।
हम्बोल्ट ने भूगोल में जलवायु विज्ञान
( climatology) शब्द का प्रयोग किया। हम्बोल्ट ने बताया कि इसके अंतर्गत वायुमंडल, तापक्रम आद्रर्ता, वायु की दिशा में गति, वायुदाब, दृश्यता  एवं वायुमंडलीय शुद्धता सूचक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है।
• हम्बोल्ट का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक पर्यावरण का संबंध मानवीय और जैविक घटनाओं में प्रदर्शित करना था। उसने मानव प्रकृति के अंतर्संबंध में मानव को अधिक महत्व न देकर   प्रकृति को अधिक महत्व दिया।
• अंत में हम्बोल्ट पेरिस से आकर बर्लिन में रहने लगा। 1807 में हम्बोल्ट की भेंट रिटर से हुई। शेष जीवन के 29 वर्ष उन्होंने बर्लिन में ही बिताये। बर्लिन में 6 मई 1859 को इस महान भूगोलवेत्ता का देहांत हो गया।
• हम्बोल्ट की भौगोलिक संकल्पनाएं:-
 हम्बोल्ट ने भूगोल को वैज्ञानिक विषय के रूप में स्थापित करने का महत्वपूर्ण प्रयास किया। उन्होंने भूगोल की अनेक संकल्पनाओं का प्रतिपादन किया। ये संकल्पनाएं इस प्रकार है।
(1.)मानवीय गृह के रूप में भूतल :- हम्बोल्ट ने भूगोल में पृथ्वी के भूतल का अध्ययन मानव गृह  के रूप में किया तथा बताया कि पृथ्वी का अध्ययन हम भूगोल में इसलिए करते हैं, क्योंकि यह मनुष्यों का निवास है। हम्बोल्ट कि यह संकल्पना वर्तमान समय में भी मान्य है।
हम्बोल्ट के अनुसार मानव गृह के रूप में पृथ्वी तल का अर्थ पृथ्वी के उस भू-भाग से है जिस पर मानव का निवास है तथा जहांँ मानव अपनी क्रियाएं करता है।
(2.) स्थानिक वितरण का विज्ञान :-हम्बोल्ट ने  भूगोल को विश्व के स्थानिक वितरण या क्षेत्रीय वितरण का विज्ञान बतलाया है। यह संकल्पना वर्तमान में भूगोल की मौलिक संकल्पना है। यह संकल्पना ही भूगोल को अन्य क्रमबद्ध तथा  वर्गीकृत विज्ञानों में स्वतंत्र विषय के रूप में अलग स्थान प्रदान करती है।
(3.) पार्थिव एकता :- हम्बोल्ट का पार्थिव एकता में गहरा विश्वास था। इनके अनुसार प्रकृति के जैविक और अजैविक सभी तथ्य आपस में संबंधित है तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।  संपूर्ण प्रकृति में एकता पाई जाती है और भूगोल में इसी एकता का अध्ययन किया जाता है।
जीन ब्रूंस के अनुसार हम्बोल्ट ने अपने एक मित्र को पत्र में लिखा कि " उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव तक केवल एक आत्मा ही संपूर्ण प्रकृति को सजीव बनाए हुए हैं,केवल एक ही जीवन पत्थरों, वनस्पतियों,जंतुओं और मनुष्यों में भी व्याप्त है।"
• हम्बोल्ट प्रकृति को एक जैविक इकाई मानते थे। जिसकी उत्पत्ति किसी विशेष क्षेत्र में जैव और अजैव वस्तुओं के अंतर्सम्बन्धो से हुई है। इस प्रकार हम्बोल्ट का विश्वास एकीकृत विज्ञान में था।
(4.) तथ्यों की विषमांगता :- हम्बोल्ट के अनुसार  क्रमबद्ध विज्ञान में अध्ययन किए जाने वाले तथ्यों में समरूपता एवं समानता पाई जाती है। परंतु भूगोल में अध्ययन किए जाने वाले तथ्यों में विषमांगता एवं भिन्नता होती है।
(5.) भूगोल भौतिक और मानवीय संबंधों का अध्ययन है :- हम्बोल्ट के अनुसार भूगोल में जैव एवं अजैव प्रकृति के संबंधों तथा मानव और प्रकृति के मध्य पाए जाने वाले संबंधों का अध्ययन किया जाता है। इनके अनुसार इन संबंधों की खोज करना भूगोलवेत्ता का कर्तव्य है। हम्बोल्ट ने बताया है कि समस्त सजीव और निर्जीव तत्वों में पारस्परिक संबंध पाया जाता है। वह मिट्टी मौसमी दशाओं और अपने चारों ओर व्याप्त वायुमंडल पर अपेक्षाकृत कम निर्भर करता है। वनस्पतियों और जंतुओं की तुलना में मानव पर प्रकृति का नियंत्रण अपेक्षाकृत कम होता है। फिर भी मनुष्य का पार्थिव जीवन के साथ अनिवार्य और घनिष्ठ संबंध है। भूगोल में इन्हीं संबंधों का विश्लेषण किया जाता है।
(6.) सामान्य भूगोल भौतिक भूगोल है :- हम्बोल्ट ने विश्व भूगोल या सामान्य भूगोल के लिए " भौतिक भूगोल " शब्दावली का प्रयोग किया। उनके अनुसार भौतिक भूगोल में मानवीय अध्ययन भी सम्मिलित होता है। हम्बोल्ट द्वारा प्रतिपादित भौतिक भूगोल सामान्य भूगोल है।उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ कॉसमॉस में बताया कि  भौतिक भूगोल के उद्देश्य सजीव और निर्जीव प्रकृति के मध्य संबंधों के अध्ययन का वर्णन करना है।
• हम्बोल्ट का विधितंत्र :-
 हम्बोल्ट के विधि तंत्र का आधार वैज्ञानिकता थी। हम्बोल्ट प्रत्यक्ष दर्शन में विश्वास करते थे। उनके द्वारा अपने अध्ययनों में निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया गया।
• आनुभावीक विधि :- हम्बोल्ट की अध्ययन पद्धति आनुभावीक और आगमनात्मक थी। 
• क्रमबद्ध विधि 
• तुलनात्मक विधि
• रेखाचित्रीय विधि
• सूक्ष्मता और परिशुद्धता
📝.. हम्बोल्ट का भूगोल में योगदान:- 
• हम्बोल्ट ने  भौतिक भूगोल, जलवायु भूगोल एवं वनस्पति भूगोल में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
• हम्बोल्ट ने पादप भूगोल की नींव डाली। अतः इन्हें पादप भूगोल का पिता कहा जाता है।
• हम्बोल्ट ने भूगोल को वर्णनात्मक विज्ञान कहा है।
• हम्बोल्ट ने पृथ्वी को जैविक एवं अविभाज्य इकाई माना है।
हम्बोल्ट ने सर्वप्रथम जलवायु विज्ञान शब्द का प्रयोग किया।
• हम्बोल्ट ने भूगोल की 7 पक्षीय संकल्पना का प्रतिपादन किया।
भूगोल के लिए हम्बोल्ट ने विश्व रचना या कॉस्मोग्राफी (Cosmography) शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने इसे दो भागों में बांटा
1. ब्रह्मांड वर्णन (Uranography) 
2.भूगोल  Geography) 
• सुजामांहंग (Zusammenhang) की संकल्पना का प्रतिपादन किया इसका तात्पर्य 
 जीव निर्जीव घटनाओं का किसी क्षेत्र में सामंजस्यता से है। 
• हम्बोल्ट ने  पेरू के तट के समानांतर दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होने वाली ठंडी पेरू धारा की खोज की। यह एक ठंडी एवं कम लवणीय धारा है। वर्तमान में इस धारा को हम्बोल्ट धारा के नाम से भी जाना जाता है।
• हम्बोल्ट ने ओरोनीको नदी तथा अमेजन नदी के प्रवाह क्षेत्रों की खोज की।
• हम्बोल्ट ने सर्वप्रथम इस्थमस ( Isthmus) के आर पार पनामा नहर ( Panama canal) बनाने का सुझाव दिया।
• हम्बोल्ट ने समताप रेखा को प्रदर्शित करने वाले विश्व मानचित्र का निर्माण किया।
• हम्बोल्ट ने सर्वप्रथम एंडीज पर्वत पर ऊंचाई का मापन करने के लिए वायुदाब मापी ( Barometer) का प्रयोग किया।
हम्बोल्ट ने सर्वप्रथम कालमापी (Chronometere) का प्रयोग करके विभिन्न स्थानों के देशांतर को निश्चित किया था।
• हम्बोल्ट ने विश्व भूगोल या सामान्य भूगोल हेतु भौतिक भूगोल शब्दावली का प्रयोग किया था।
• हम्बोल्ट ने  भूगोल को विश्व के स्थानिक वितरणों या क्षेत्रीय वितरणों का विज्ञान माना था। 
हम्बोल्ट को आधुनिक क्रमबद्ध भूगोल का पिता, जलवायु विज्ञान का पिता तथा वनस्पति भूगोल का पिता माना जाता है।
हम्बोल्ट ने अपने वर्णन में कहीं पर भी ईश्वर शब्द का प्रयोग नहीं किया है।


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