Place this code on every page across your site and Google will automatically show ads in all the best places for you site's HTML. This script loads the relevant amp-auto-ads libraries. CONICAL PROJECTION meaning, Definition, structure,types ,Conical projection with one standard parallel,characteristics,Use,Conical projection with two standard parallel, characteristics,Use, प्रक्षेप,अर्थ,परिभाषा,रचना,विशेषताएं एवं प्रकार, एक मानक अक्षांश वाला साधारण शंकु प्रक्षेप,विशेषताएं एवं उपयोग दो मानक अक्षांश वाला साधारण शंकु प्रक्षेप, विशेषताएं एवं उपयोग।

CONICAL PROJECTION meaning, Definition, structure,types ,Conical projection with one standard parallel,characteristics,Use,Conical projection with two standard parallel, characteristics,Use, प्रक्षेप,अर्थ,परिभाषा,रचना,विशेषताएं एवं प्रकार, एक मानक अक्षांश वाला साधारण शंकु प्रक्षेप,विशेषताएं एवं उपयोग दो मानक अक्षांश वाला साधारण शंकु प्रक्षेप, विशेषताएं एवं उपयोग।

सामान्य परिचय (General Introduction of Projection) :- 
 प्रक्षेप का तात्पर्य किसी पारदर्शी कागज पर अंकित चित्र को प्रकाश की सहायता से कपड़े के पर्दे या दीवार पर प्रक्षेपित करना है,अर्थात पृथ्वी के किसी भाग के अक्षांश व देशांतर रेखाओं के जाल का प्रकाश या ज्यामितीय विधि द्वारा समतल कागज पर निरूपण प्रक्षेप कहलाता है।
•  मानचित्रप्रक्षेपो के आविष्कार का श्रेय प्राचीन यूनानी विद्वानों को जाता है। प्राचीन यूनानी विद्वान थेल्स ने खगोल मानचित्रो के निर्माण के लिए सर्वप्रथम नोमॉनिक प्रक्षेप का प्रयोग किया था। रोमन भूगोलवेत्ता टॉलेमी का मानचित्र प्रक्षेपो के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। टॉलेमी ने अपने ग्रंथ " ज्योग्राफिया " के प्रथम खंड में ग्लोब की रचना तथा मानचित्र प्रक्षेप बनाने की विधियों का वर्णन किया है। टॉलेमी द्वारा निर्मित 27 मानचित्र इस पुस्तक में प्रदर्शित किए गए हैं। टॉलेमी में ने अपनी पुस्तक " ऐनालेमा " में लंबकोणीय प्रक्षेप के प्रकारों का उल्लेख किया है। टॉलेमी ने ध्रुवीय मानचित्रो के निर्माण हेतु त्रिविम प्रक्षेप का प्रयोग किया था तथा संसार के मानचित्र को इन्होंने संशोधित शंक्वाकार प्रक्षेप पर निर्मित किया था। 
📝 •• शंक्वाकार प्रक्षेप (Conical projection) :- 
शंक्वाकार प्रक्षेप के निर्माण के लिए समतल कागज को शंकु के आकार में निर्मित कर ग्लोब पर रख दिया जाता है। कागज का शंकु ग्लोब पर जिस अक्षांश रेखा को स्पर्श करता है, उसे मानक अक्षांश या प्रधान अक्षांश रेखा मान लिया जाता है। कागज को फैलाने पर बने रेखा जाल को शंक्वाकार प्रक्षेप कहते हैं।इस प्रक्षेप में कागज का शंकु ग्लोब को चुने गए अक्षांश वृत्त पर स्पर्श करता है। 
✍️✍️ शंक्वाकार प्रक्षेपो की विशेषताऐं:-  
मानक अक्षांश (Standard parallel) :-जिस अक्षांश वृत्त पर कागज का शंकु ग्लोब को स्पर्श करता है, उसे मानक अक्षांश या प्रधान अक्षांश कहते हैं।
• इस प्रक्षेप में मानक अक्षांश की आकृति वृत्त  के चाप के समान होती है।
• देशांतर रेखाएं ध्रुवों से समान अंतराल पर
विकीरीत सरल रेखाएं होती हैं।
• देशांतर रेखाएं मानक अक्षांश को समान लंबाई वाले चापो में विभाजित करती है ।
•अन्य अक्षांश वृत्त भी संकेद्रीय वृत्तो के चाप होते हैं।
• इस प्रक्षेप में केवल मानक अक्षांश पर मापनी शुद्ध होती है।
• इस प्रक्षेप में शंकु का शीर्ष ध्रुवों के ठीक ऊपर की ओर पृथ्वी के बढ़ाए गए ध्रुवीय अक्ष के किसी बिंदु पर स्थित होता है। अर्थात पृथ्वी का केंद्र, ध्रुव एवं शंकु का शीर्ष तीनों खएक सरल रेखा में होते हैं।
• ये प्रक्षेप शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के मानचित्र बनाने के लिए विशेष रूप से उपयोगी होते हैं।
• इन  प्रक्षेपो में कागज का शंकु भूमध्यरेखा तथा  ध्रुवों को छोड़कर अन्य चुने गए अक्षांश पर स्पर्श करता है।
•शंक्वाकार प्रक्षेपो में मानक अक्षांश पर मापनी शुद्ध होती है।
• ये प्रक्षेप मध्य अक्षांशों के मानचित्र निर्माण हेतु उपयोगी होते हैं।
📝 •• एक मानक अक्षांश वाला साधारण शंकु प्रक्षेप (Conical Projection with One standard Parallel)
✍️✍️  प्रमुख विशेषताएं:-
• इस शंक्वाकार प्रक्षेप में एक ही मानक अक्षांश होता है।
• इस प्रक्षेप में मानक अक्षांश पर ही मापनी शुद्ध रहती है।
• इस प्रक्षेप द्वारा किसी क्षेत्र की आकृति एवं क्षेत्रफल का सही प्रदर्शन किया जा सकता है।
• मानक अक्षांश से दूर जाने पर अशुद्धियां बढ़ती जाती है अतः यह प्रक्षेप 20 डिग्री से अधिक अक्षांशीय विस्तार वाले क्षेत्रों के लिए उपयोगी नहीं है। क्योंकि मानक अक्षांश से दूर जाने पर प्रदेश की आकृति एवं क्षेत्रफल दोनों में अत्यधिक विकृति आ जाती है।
• समस्त अक्षांश वृत्त ध्रुव को केंद्र मानकर खींचे गए संकेद्रीय वृत्तो के चाप होते हैं तथा इनके बीच की दूरी समान होती है।
 •  इस प्रक्षेप में अक्षांश व देशांतर रेखाऐं एक दूसरे को समकोण पर काटती है।
• इस प्रक्षेप में ध्रुव एक चाप के रूप में होता है। • इस प्रक्षेप में सभी देशांतर रेखाओं पर मापनी शुद्ध रहती है, अतः इसे समदूरस्थ प्रक्षेप भी कहते हैं।
• समस्त देशांतर रेखाएं सरल रेखाओं के रूप में होती है। जो शंकु के शीर्ष बिंदु पर आपस में मिल जाती है।
• ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर देशांतर रेखाओं के मध्य की दूरी बढ़ती जाती है, परंतु किसी भी एक अक्षांश वृत्त पर देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी समान होती है।
✍️✍️ मानचित्र प्रक्षेप का उपयोग :-
एक मानक अक्षांश वाला शंक्वाकार प्रक्षेप एक ही गोलार्द्ब के मानचित्र निर्माण हेतु उपयोगी होता है।
• यह मध्य अक्षांशों में स्थित छोटे-छोटे देशों के मानचित्र बनाने के लिए अत्यधिक उपयोगी है।
• यह प्रक्षेप कम अक्षांशीय विस्तार वाले क्षेत्रों के मानचित्र बनाने के लिए उपयोगी है।
• यह प्रक्षेप बड़े देशांतरीय विस्तार वाले देशों के मानचित्र बनाने हेतु भी उपयोगी है।
• इस मानचित्र प्रक्षेप पर बाल्टिक देशों-लिथुआनिया, एस्टोनिया का मानचित्र बनाया जा सकता है।
इस प्रक्षेप पर ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग का मानचित्र निर्मित किया जा सकता है।
• इस प्रक्षेप द्वारा ट्रांस कैनेडियन रेलमार्ग का मानचित्र निर्मित किया जा सकता है।
• संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा को प्रदर्शित करने के लिए, इस मानचित्र प्रक्षेप का उपयोग किया जाता है।
• भारत में नर्मदा घाटी को प्रदर्शित करने हेतु एक मानक अक्षांश वाले शंक्वाकार प्रक्षेप का उपयोग किया जाता है।
• उत्तरी एवं दक्षिणी कोरिया के मध्य सीमा को प्रदर्शित करने हेतु यह प्रक्षेप उपयोगी है

📝 •• दो मानक अक्षांश वाला शंक्वाकार प्रक्षेप (Conical Projection with two standard parallel) :- 
✍️✍️ प्रमुख विशेषताऐं :- 
• यह प्रक्षेप एक मानक अक्षांश वाले शंक्वाकार प्रक्षेप का संशोधित रूप है।
• इस मानचित्र प्रक्षेप में दो मानक अक्षांश होते हैं। • इस प्रक्षेप को निर्मित करते समय उन अक्षांशों को मानक अक्षांश माना जाता है, जिनके मध्य दिए गए क्षेत्र का 2/3 भाग स्थित होता है।
• इस प्रक्षेप में दोनों मानक अक्षांशों पर मापनी शुद्ध होती है।
• समस्त देशांतर रेखाओं पर भी मापनी शुद्ध रहती है।
• यह प्रक्षेप ने तो यथाकृतिक है और न ही यह समक्षेत्र प्रक्षेप है।
इस प्रक्षेप में ध्रुव एक चाप के रूप में होता है।
✍️✍️ प्रक्षेप का उपयोग :-
• यह प्रक्षेप अधिक देशांतरीय विस्तार वाले देशों एवं कम अक्षांशीय विस्तार वाले देशों के मानचित्र निर्मित करने के लिए उपयोगी है।
इस प्रक्षेप का यूरोप एवं ऑस्ट्रेलिया की मानचित्रावलियों में अलग-अलग देशों एवं राज्यों के मानचित्र निर्मित करने के लिए अधिक उपयोग किया जाता है।
इस प्रक्षेप पर संपूर्ण संसार का मानचित्र  निर्मित नहीं किया जा सकता है।
• इस प्रक्षेप पर अधिक अक्षांशीय विस्तार वाले देशों या क्षेत्रों का मानचित्र  निर्मित नहीं किया जा सकता है।

Thanks for Reading... Like, comment and share this post.. Follow my blog... 🙏🙏

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ