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प्राचीन यूनानी भूगोलवेत्ता :- मीलेटस का हिकेटियस (Ancient Greek geographer hecataeus of Miletus ) :- भूगोल में योगदान(Contribution in geography)


 जीवन परिचय:-

यूनानी गद्य के प्रथम लेखक एवं महान राजनीतिज्ञ हिकेटियस का जन्म यूनान के मिलेटस नगर में हुआ था। यह एक महान अग्रज(Pioneer)  भूगोलवेत्ता माने जाते हैं। हिकेटियस ने उस समय के ज्ञात यूनानी जगत के बारे में तथा दूर दराज के अज्ञात क्षेत्रों के बारे में सूचनाएं एकत्रित कर उनका विवरण प्रस्तुत किया। इन्होंने भूमध्य सागर द्वीपों अंतरीपो और विश्व के अनेक देशों की सामान्य विवरण प्रस्तुत किया। इसकी प्रसिद्ध पुस्तक जेस पेरियोडोस (Ges-Periodos) मेें प्रथम बार विश्व का व्यवस्थित वर्णन है ।अतः हिकेटियस को भूगोल का पिता(Father of Geography) कहा जाता है। इस पुस्तक की  अधिकांश सामग्री वर्तमान में मौजूद नहीं है ।हेरोडोटस के अनुसार हिकेटियस मिस्र में थेब्स(thabes) की यात्रा  कर चुका था।हिकेटियस दूर क्षेत्रों से आने वाले व्यापारियों से मिलता रहता था।उसका अपने नगर मिलेटस के व्यापारियों के साथ घनिष्ठ संबंध थे।जिसका लाभ हिकेटियस ने अपने विवरणों को लिखने में उठाया। हिकेटियस ने विश्व का सामान्य वर्णन कीया और उन्होने भूमध्य सागर के आसपास के स्थानों व क्षेत्रों का वर्णन मिलता है,विशेषतयाः ऐजियन सागर के समीप के देशों के बारे में विवरण है। इनका कार्य पेरीप्लस अर्थात तटीय सर्वेक्षण कहलाता है ।

हिकेटियस का भूगोल में योगदान :-

हिकेटियस का पृथ्वी के विषय में विचार:-हिकेटियस के विचार पृथ्वी की आकृति और आकार के बारे में आयोनियन दार्शनिकों से मिलते जुलते थे। हिकेटियस का मानना था कि पृथ्वी का तल वृत्ताकार है और यूनान विश्व के केंद्र में स्थित है। वह विश्व को महासागर से घिरा हुआ एवं दो बराबर भागों में विभक्त मानता था।  उसने बताया की उत्तर में यूरोप महाद्वीप और दक्षिण में लीबिया,अफ्रीका,एशिया स्थित है।  इन दोनों भागों का विभाजन हेलेसपोण्ट  युगजियन सागर,   काकेशस पर्वत एवं कैस्पियन सागर के सहारे एक रेखा के द्वारा प्रदर्शित किया गया था।कैस्पियन सागर को हिकेटियस ने आंतरिक सागर अथवा पूर्वी महासागर की खाड़ी माना था।  हिकेटियस का विश्व अनेग्जीमेण्डर के मानचित्र पर ही आधारित है।

हिकेटियस की प्रमुख रचनाएं:-

1.जेस पेरियोडोस (Ges-Periodos):- यह हिकेटियस की महान कृति है। इसका प्रकाशन छठी सदी के अंत (520 B.C.) में हुआ था। यह पुस्तक दो खंडो में  प्रकाशित की गई थी।वर्तमान समय में इसकी अधिकांश सामग्री मौजूद नहीं है। इस पुस्तक को पेरीप्लस या तटीय सर्वेक्षण भी कहा जाता है।

प्रथम खण्ड  - इस पुस्तक के प्रथम खंड में हिकेटियस ने यूरोप की भौगोलिक सूचनाओं का वर्णन किया है। इस पुस्तक में हिकेटियस ने यूनान व एजियन सागर के तटों का विस्तृत विवरण दिया है । एड्रियाटिक सागर इटली और स्पेन के बाद थ्रेस व सीथिया का वर्णन भी किया है। हिकेटियस का यूरोप के विषय में ज्ञान भूमध्य सागर के पास बसी यूनानी बस्तियों तक ही सीमित था। वह  इयोनियन और ऐजियन सागर के तटों से , दक्षिणी इटली व सिसली तथा एड्रियाटिक सागर के पूर्वी तट से ही अवगत था। उसने यहां पर निवास करने वाली अनेक जनजातियों का वर्णन अपनी पुस्तक में किया है जो यूनानी बस्तियों से संबंध रखती थी। इस्त्री जनजाति (Istri tribe)  को वह एड्रियाटिक सागर के शीर्ष पर स्थित मानता था । उसने पो नदी (post River) को स्त्री नदी (Istri river)  कहा है तथा इसके मैदान को अत्यंत उपजाऊ बताया है। उसने इटली के किसी भी स्थान का जिक्र नहीं किया है। जबकि वह कार्सिका  और सारडीनीया से परिचित था।हिकेटियस स्पेन के पिलर ऑफ़ हर्कुलस के आस पड़ोस के स्थानों की जानकारी भी रखता था। उसे यूरोप महाद्वीप की पश्चिमी एवं उत्तरी सीमाओं के विषय में ज्ञान नहीं था। उत्तरी युगजियन सागर का क्षेत्र यूनानी बस्तियों से आवासित था। वह डेन्यूब (Ister)और नीपर  (Boresthenes) नदियों के बीच फैले क्षेत्र की तटीय भूमि से परिचित था। यहां मिलेशियनो (Milesians) की अनेक बस्तियां थी । हिकेटियस ने सीथिया की मलेच्छिनी (Dandari) बर्बर जनजातियों का उल्लेख किया है।  उसने तनाइस नदी (Don) को मिलेटस के मानचित्र में दर्शाया और कैस्पियन सागर के उत्तरी भागों पर बसी इजिदोनीयन (Issedonean) जनजातियों का भी उल्लेख किया था। 

द्वितीय खण्ड :-

हिकेटियस ने द्वितीय खंड में अफ्रीका एवं एशिया महाद्वीप का वर्णन किया है।  इस खंड में हिकेटियस ने हेलेस्पॉन्ट युगजीयन के दक्षिण तटवर्ती क्षेत्रों का , काकेशिया , एशिया माइनर सीरिया , मिस्र , अफ्रीका का वर्णन किया है।  उसने पारसियों , मेडीज , भारतीयों का वर्णन भी इस खंड में किया है।  परंतु इनकी सूचनाओं के स्रोत नहीं दिए हैं तथा इसका विवरण भी अस्पष्ट है । हिकेटियस एशिया में एशिया माइनर ,  टर्की लेबनान , इजरायल के तटीय क्षेत्रों से परिचित था।  उसने फासिस नदी (Phases River)  तथा कोलची लोगों के निवास क्षेत्र का वर्णन किया है ।ये जातियाँ युगजियन सागर के दक्षिण में बसी हुई थी । हिकेटियस के समय में कैस्पियन सागर हरसेन्यन (Hyrcanian sea) के नाम से जाना जाता था । जिसे महासागर की एक भुजा कहते थे। जो पश्चिम की ओर काकेशस पर्वत के घिरी हुई थी। फारस की खाड़ी और कैस्पियन सागर के बीच फैली भूमि को अपने मानचित्र में दर्शाया था । एक हिकेटियस ने बेबीलोन और उसके नगरों का कोई जिक्र नहीं किया हैं। 

*** हिकेटियस ने भारत के बारे में भी अनेक सूचनाएं दी थी । उसने अपने मानचित्र में सिंधु नदी व भारत को दर्शाया था । उसने भारत के नगरों के विषय में भी वर्णन किया है। हिकेटियस ने मानचित्र में काबुल घाटी और ऊपरी सिंधु के बीच निवास करने वाली गांधार जाति के लोगों के विषय में उल्लेख किया है। इसकी राजधानी सिंधु नदी के तट पर स्थित कसस्पातिरस थी। भारत के विषय में उसकी सूचनाएं केवल सिंधु नदी के पश्चिम में फैले क्षेत्र तक ही सीमित थी । 

*** हिकेटियस ने मिस्र की नील नदी घाटी क्षेत्र का सर्वेक्षण किया था। इस खंड में इसका सुंदर भौगोलिक वर्णन किया है । हिकेटियस नील नदी के स्रोत को दक्षिणी महासागर में मानता था। नील नदी के ऊपरी प्रवाह क्षेत्रों में निग्रो व पिग्मी आदिम जातियोंं के होने का वर्णन किया है। तथा अफ्रिका के उत्तरी तट के अनेक द्विप सहित उसका विवरण पुस्तक में किया है। 

*** हिकेटियस को प्राचीन प्रादेशिक भूगोल का पिता भी कहा जाता है। 

*** हिकेटियस ने अपने मानचित्र में पहली बार विश्व को दो भागों ने विभाजित किया था।

(1.) यूरोप ।

(2.)अफ्रीका (लीबिया) एवं एशिया । 

*** जेस पेरियोडस विश्व का प्रथम क्रमबद्ध वर्णन हैं । अतः हिकेटियस को भूगोल का जनक कहते हैं। 

***  हिकेटियस द्वारा लिखित अन्य पुस्तकें:-

1. डिस्कशन ऑफ दी अर्थ ।

2.जेनेथोलॉजी ।

                 

........ Thanks for reading😊🙏🙏


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