" पृथ्वी की आंतरिक संरचना "
(Structure of the earth's interior )
📝.. पृथ्वी की आंतरिक संरचना हैरोल्ड जेफरिज महोदय के अनुसार :-
जेफरिज महोदय ने भूकम्पीय लहरों के अध्ययन के आधार पर पृथ्वी के आंतरिक भाग को चार परतों में विभाजित किया है।
(1.) अवसादी शैल से निर्मित बाहरी परत :- इसका परत निर्माण परतदार शैलों से हुआ है।
(2.) ग्रेनाइट से निर्मित परत :-यह परत ग्रेनाइट चट्टानों से बनी है।
(3.) थैचिलाइट या डायोराइट से निर्मित परत :- इस परत का निर्माण थैचिलाइट या डायोराइट से हुआ है।
(4.) पेरिडोटाइट या इक्लोजाइट से निर्मित परत :- इस परत का निर्माण डूनाइट, पेरिडोटाइट या इक्लोजाइट से हुआ है।
📝... पृथ्वी की आंतरिक संरचना वान डर ग्राट (Van der Gracht) के अनुसार :-
वान डर ग्राट महोदय ने गुटेनबर्ग तथा लिंक के प्रयोगों के आधार पर पृथ्वी को चार परतों में बांँटा है।
(1.) ऊपरी सियाल क्रस्ट (Outer silicate crust) :- इस परत का निर्माण एलुमिनियम, पोटेशियम,सोडियम आदि तत्वों से हुआ है। इसका घनत्व 2.75 से 2.9 प्रति ग्राम घन सेंटीमीटर है। महाद्वीपों के नीचे इसकी मोटाई 60 किलोमीटर तथा महासागरों के नीचे इसकी मोटाई 10 से 20 किलोमीटर के मध्य पाई जाती है। प्रशांत महासागर के नीचे इस परत की मोटाई 10 किलोमीटर तथा आंध्र महासागर के नीचे इस परत की मोटाई 20 किलोमीटर मानी गई है।
(2.) आंतरिक सिलीकेट परत या मैन्टिल (Inner silicate layer or Mantle) :-
इस परत की रचना सिलिका, मैग्नीशियम एवं कैल्शियम जैसे तत्वों से हुई है। इसकी मोटाई 60 किलोमीटर से 1200 किलोमीटर के मध्य है। इसका घनत्व 3.1 से 4.75 प्रति ग्राम घन सेंटीमीटर है।
(3.) मिश्रित धातुओं तथा सिलीकेट की परत (Zone of mixed metals and silicate) :- इस परत की संरचना निकेल, लोहा सिलिका एवं मैग्नीशियम जैसे तत्वों से हुई है। इस परत की मोटाई 1200 से लेकर 2900 किलोमीटर तक पायी जाती है। इसका घनत्व 4.75 से 7.8 प्रति ग्राम घन सेंटीमीटर है।
(4.) धात्विक केंद्र अथवा धात्विक पिण्ड़ (Metallic nucleus ) :-
इस परत का निर्माण निकेल एवं लौह तत्वों से हुई है। इसकी गहराई 2900 किलोमीटर से पृथ्वी के केंद्र तक मानी गयी है। इस परत का घनत्व 11 प्रति ग्राम घन सेंटीमीटर है।
📝... पृथ्वी की आंतरिक संरचना डाली (Daly) महोदय के अनुसार :- डाली महोदय ने पृथ्वी के आंतरिक भाग को घनत्व की भिन्नता के आधार पर तीन परतों में विभाजित किया है।
(1.) बाहरी परत (Outer Zone) :- इस परत का निर्माण सिलीकेट पदार्थों से हुआ है। इसका औसत घनत्व 3 प्रति ग्राम घन सेंटीमीटर है। इस परत की मोटाई 1600 किलोमीटर है।
(2.) मध्यवर्ती परत (Intermediate Zone) :- यह परत बाहरी परत के नीचे पायी जाती है। इस परत की निर्माण लोहा एवं सिलीकेट पदार्थों के मिश्रण से हुआ है। इसका घनत्व 4.5 से 9 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है। इस परत की मोटाई 1280 किलोमीटर है।
(3.) केंद्रीय भाग (Central Zone) :- यह पृथ्वी की केंद्र में स्थित परत है। यह परत ठोस रूप में पाई जाती है। इसका निर्माण लौह तत्वों से हुआ है। इसका घनत्व 11.6 प्रति ग्राम घन सेंटीमीटर है। इसका व्यास 7040 किलोमीटर है।
📝.. होम्स के अनुसार पृथ्वी की आंतरिक संरचना :- होम्स ने पृथ्वी के आंतरिक भाग को दो परतों में विभाजित किया है।
(1.) क्रस्ट (Crust) :- इस परत की रचना ऊपरी तथा मध्यवर्ती परत को से मिलकर हुई है। इस परत में सियाल का संपूर्ण भाग एवं सीमा का ऊपरी भाग शामिल है।
• होम्स ने महाद्वीपों के नीचे सियाल की गहराई के विषय में निम्न तथ्य प्रस्तुत किये है।
1.होम्स ने तापीय तर्कों द्वारा - महाद्वीपों के नीचे सियाल की गहराई 20 किलोमीटर तक बताई है। 2. धरातलीय लहरों के आधार पर - महाद्वीपों के नीचे सियाल की गहराई 15 किलोमीटर से अधिक है।
3. अनुदैर्ध्य अथवा प्राथमिक लहरों के आधार पर महाद्वीपों के नीचे - सियाल की गहराई 20 से 30 किलोमीटर के मध्य है।
4. सबसे गहरी भूसन्नति के धँसाव की गहराई के आधार पर - महाद्वीपों के नीचे सियाल की गहराई 20 किलोमीटर से अधिक है।
(2.) सबस्ट्रैटम (Substratum) :- इस परत का निर्माण सीमा के निचले भाग से हुआ है। इसका विस्तार सीमा के निचले भाग से पृथ्वी के केंद्र तक है। इसका निर्माण मुख्य रूप से सीमा के निचले भाग एवं नीफे परत से हुआ है।
• महत्वपूर्ण बिंदु :-
• मोहो असंबद्धता पृथ्वी की आंतरिक संरचना में निचली क्रस्ट तथा ऊपरी मैन्टिल के मध्य पायी जाती है।
• भूकम्प की S लहरें तरल भाग में लुप्त हो जाती है।
• ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार पृथ्वी का अंतरतम ठोस अवस्था में है।
• पृथ्वी का औसत घनत्व 5.517 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है।
• भूपर्पटी में एक निश्चित गहराई तक तापमान के बढ़ने की दर 32 मीटर की गहराई पर 1 डिग्री सेंटीग्रेड होती है।
• पृथ्वी के क्रस्ट में मुख्यतः ग्रेनाइट, बेसाल्ट तथा पेरिडोटाइट चट्टाने पाई जाती है।
• भूतल पर रचनात्मक कार्यो (पर्वत,पठार, भूकंप आदि) के लिए उष्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग से प्राप्त होती है।
• आयतन की दृष्टि से मैन्टिल समस्त पृथ्वी के 83% भाग का प्रतिनिधित्व करता है।
• दुर्बलता मंडल मैन्टिल के ऊपरी भाग में स्थित होता है।
• दुर्बलता मंडल के पदार्थ अर्द्ध तरल अवस्था में पाए जाते हैं।
• समस्त पृथ्वी में लौह तत्व की मात्रा ( 35.5 प्रतिशत ) सर्वाधिक पाई जाती है।
• पृथ्वी के क्रोड में अधिक घनत्व होने का कारण - अधिक घनत्व वाले भारी तथा चुंबकीय प्रकृति के निकेल एवं लौह तत्वों की उपस्थिति है।
• पृथ्वी की संरचना में Outer Core तरल अवस्था में पाया जाता है।
• IUGG के अनुसार पृथ्वी का आंतरिक अंतरतम ठोस अवस्था में पाया जाता है।
• पृथ्वी के केंद्र का घनत्व 13से 13.6 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है।
• पृथ्वी के केंद्र से सबसे निकटतम बिंदु उत्तरी ध्रुव के पास है।
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