( Rock :- meaning, definition, types or Rock cycle )
:- इन चट्टानों में सिलिका की मात्रा 45 से 55% तक पाई जाती है। इन चट्टानों का घनत्व 2.8 से 3.00 तक होता है। बेसिक चट्टानों में फेरो-मैग्नीशियम की प्रधानता होती है तथा फेल्सपार की कमी पाई जाती है। लोहेे की अधिकता सेेे इन चट्टानों का रंंग गहरा होता है। ये चट्टाने वजन में भारी होती है। इन चट्टानों पर अपरदन का प्रभाव शीघ्र होता है। इन चट्टानों के कारण बारिक होते है। इसके अलावा इनमें लोहा, चुना एवं मैग्नीशियम के तत्व पाए जाते हैं। प्रमुख क्षारीय शैले बेसाल्ट तथा गैब्रो,डोलराइट हैं।• अर्थ एवं परिभाषा :-
पृथ्वी के क्रस्ट में मिलने वाली सभी प्रकार के मुलायम व कठोर पदार्थ चट्टान कहलाते हैं। चट्टानों का निर्माण विभिन्न प्रकार के खनिजों के समिश्रण से हुआ है। चट्टाने चीका मिट्टी की भांँति मुलायम अथवा ग्रेनाइट की भांँति कठोर हो सकती है। चट्टानें खड़िया मिट्टी और चूने के पत्थर की भांँति छिद्रमय भी हो सकती है तथा ग्रेनाइट एवं स्लेट की भांँति अछिद्रमय या अप्रवेश्य भी हो सकती है। चट्टानें खनिजों का समूह है, किंतु कुछ चट्टानें एक ही खनिज से भी निर्मित होती है।जैसे- बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, संगमरमर आदि।
कुछ चट्टानों में एक से अधिक खनिजों का समिश्रण पाया जाता है। जैसे- ग्रेनाइट, स्फटिक, फेल्सपार, अभ्रक।
कुछ अन्य चट्टानें अनेक प्रकार की धातुओं एवं अधातु खनिजों के जटिल मिश्रण से भी निर्मित होती है। जैसे- एलुमिना, काग्लोमरेट, लिमोनाइट,
• पृथ्वी की क्रस्ट में मिलने वाले प्रमुख तत्व:-
पृथ्वी के क्रस्ट का निर्माण लगभग 110 तत्वों से हुआ है। परंतु इसके 98% भाग की संरचना मात्र आठ प्रकार के प्रमुख चट्टान निर्माणकारी तत्वों से हुई है। ये तत्व इस प्रकार हैं।
(1.) ऑक्सीजन - 46.8 %
(2.) सिलिकन - 27.72 %
(3.) एल्यूमीनियम - 8.13 %
(4.) लोहा - 5.00 %
(6.) कैल्शियम - 3.63 %
(7.) सोडियम - 2.83 %
(8.) पोटैशियम - 2.59 %
(9.) मैग्नीशियम - 2.09%
• पृथ्वी की भूपर्पटी में लगभग 2000 से अधिक खनिज पाये जाते हैं। इनमें से 24 खनिजों को ही चट्टान निर्माणकारी खनिज माना जाता है। क्योंकि अधिकांश चट्टानों का निर्माण इन्हीं खनिजों से हुआ है। इन खनिजों में से भी मात्र 6 खनिज ही चट्टानों में प्रमुख रूप से पाये जाते हैं। ये खनिज इस प्रकार है।
(1.) फेल्सपार (Felspar)
(2.) क्वार्टज या स्फटिक (Quartz)
(3.) पायरोक्सींस (Pyroxenes)
(4.) एम्फिबोल्स (Amphiboles)
(5.) अभ्रक (Mica)
(6.) ओलिवीन (Olivine)
👉 चट्टानों का वर्गीकरण :-
पृथ्वी के भूपृष्ठ पर पायी जाने वाली चट्टानों के विश्लेषण से स्पष्ट है, कि उनकी उत्पत्ति, भौतिक गुण, रासायनिक गुण तथा स्थिति में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। शैलों को सामान्य रूप से उनके निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है।
(1.) बनावट की प्रक्रिया के आधार पर विभाजन :- चट्टानों के बनावट की प्रक्रिया के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया गया है।
(ब) अवसादी शैल (Sedimentary rocks )
(स) रूपांतरित शैल (Metamorphic rocks)
(अ) आग्नेय शैल (Igneous rocks ) :- "आग्नेय" शब्द लैटिन भाषा के शब्द इग्निस(Ignis) से लिया गया है। जिसका शाब्दिक अर्थ अग्नि होता है। आग्नेय चट्टानों की रचना तप्त एवं तरल मैग्मा के शीतल होने से होती है। पृथ्वी पर सर्वप्रथम इन्हीं शैलों का निर्माण हुआ था। अतः इन्हें प्राथमिक शैल (Primary Rock) भी कहते हैं। अन्य चट्टानों का निर्माण प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से आग्नेय चट्टानों से ही माना जाता है। ज्वालामुखी उद्गार के समय गर्म एवं तरल लावा के पृथ्वी के आंतरिक भाग या बाहरी भाग में जमकर ठोस होने से आग्नेय शैलों का निर्माण होता है।
👉 आग्नेय शैलो की प्रमुख विशेषताएं :-
• आग्नेय चट्टानें कठोर होती है। इनमें जल बड़ी कठिनाई से प्रविष्ट हो पाता है।
• आग्नेय चट्टानें रवेदार तथा दानेदार होती है। इनमें रवों की बनावट में पर्याप्त अंतर देखने को मिलता है। रवों के आकार एवं रूप में भी अंतर पाया जाता है। कणों की बनावट, मैग्मा के ठंडा होने की गति तथा स्थान पर आधारित होती है। लावा के धरातल के ऊपरी भाग में ठंडा होने से बारीक रवेदार आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। जबकि मैग्मा के आंतरिक भाग में धीरे-धीरे ठंडा होने से बड़े कणों वाली आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है।
• आग्नेय चट्टानों में परते नहीं पाई जाती हैं।
• आग्नेय चट्टानों पर रासायनिक अपक्षय का प्रभाव अत्यधिक कम होता है। परंतु भौतिक व यांत्रिक अपक्षय का प्रभाव अधिक होता है। भौतिक व रासायनिक अपक्षय के फलस्वरुप इन चट्टानों में विघटन और वियोजन की प्रक्रिया होती हैं।
• आग्नेय चट्टानों में जीवावशेष नहीं पाये जाते हैं। • आग्नेय चट्टानों में संधियाँ निचले भाग की अपेक्षा ऊपरी भाग में अधिक पाई जाती है।
• आग्नेय चट्टानों का निर्माण मुख्यतः ज्वालामुखी क्रिया के फलस्वरुप होता है। अतः इनका वितरण ज्वालामुखी क्षेत्रों में देखने को मिलता है।
• क्रस्ट के लगभग 90% भाग का निर्माण आग्नेय चट्टानों से हुआ है।
• प्रमुख आग्नेय चट्टानें ग्रेनाइट, बेसाल्ट, पैगमाटाइट, डायोराइट, गैब्रो, पिचस्टोन,प्यूमिस आदि है।
• आग्नेय चट्टानों के प्रकार :-
(1.) स्थिति एवं संरचना के आधार पर आग्नेय चट्टानों के प्रकार :-
(अ) अंतःर्निर्मित आग्नेय चट्टानें (intrusive igneous rock) :- मैग्मा के आंतरिक भाग में ठंडा होकर ठोस होने की प्रक्रिया द्वारा इन आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। इन चट्टानों के दो उपवर्ग है।
{1.} पातालीय चट्टान (Plutonic rock) :- इनका निर्माण पृथ्वी के आंतरिक भाग में अधिक गहराई पर होता है। इन चट्टानों का नामकरण यूनानी देवता प्लूटो के नाम पर किया गया है। जिन्हें पाताल का देवता माना जाता है। आंतरिक भाग में मैग्मा के अत्यधिक धीमी गति से ठंडा होने के कारण इन चट्टानों में रवे बड़े-बड़े पाए जाते हैं। उदाहरण - ग्रेनाइट
{2.} मध्यवर्ती चट्टानें (Hypabyssal igneous rock) :- ज्वालामुखी उद्गार के समय धरातलीय अवरोध के कारण मैग्मा दरारों,छिद्रों एवं ज्वालामुखी नली में जमकर ठोस रूप धारण कर लेता है। जिस कारण मध्यवर्ती चट्टानों का निर्माण होता है। कालांतर में अपरदन की क्रिया के कारण ये चट्टानें धरातल पर नजर आने लगती है। मध्यवर्ती चट्टानों के प्रमुख रूप- लैकोलिथ, फैकोलिथ, लोपोलिथ, बेथोलिथ, सील, डाइक आदि है।
उदाहरण- डोलेराइट, मैग्नेटाइट
(ब) बाह्म आग्नेय चट्टानें (Extrusive igneous rock) :- ज्वालामुखी प्रक्रिया के फलस्वरूप जब लावा भूपर्पटी के ऊपर आता है। तो तेजी से ठंडा होकर ठोस रूप धारण कर लेता है। इससे बाहरी आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। इन चट्टानों को ज्वालामुखी चट्टान भी कहा जाता है। इन चट्टानों के रवे बहुत छोटे होते हैं। उदाहरण - बेसाल्ट
• बाह्म आग्नेय चट्टानों के कारण ही काली मिट्टी का निर्माण होता है। जिसे रेगड़ कहते हैं।
• रंध्रविहीन आग्नेय चट्टानों के अंतर्गत ऑब्सिडियन,प्यूमिस, परलाइट व पिचस्टोन को शामिल किया जाता है।
(2.) रासायनिक संरचना की दृष्टि से आग्नेय चट्टानों के प्रकार :- रासायनिक संरचना की दृष्टि से आग्नेय चट्टानों को चाार भागों में बांटा गया है।
(1.) अम्लीय चट्टानें (Acid igneous rock) :- इन चट्टानों में सिलिका की मात्रा 65 से 85% तक पाई जाती है। इन चट्टानोंं का औसत घनत्व 2.75 से 2.8 होता है। इन चट्टानों में क्वार्टज तथा सफेद या या पीलेेे रंग के फेल्सपार खनिज अधिक पाए जाते हैं। लोहे तथा मैग्नीशियम की मात्रा कम पाई जाती है। इन चट्टानों का रंग पीला होता है। ये चट्टान कड़ी होती है। इनका अपरदन आसानी संभव नहीं है। मकान निर्माण में इन चट्टानों का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा इनमें एल्युमनियम, मैग्नीशियम तथा क्षारीय पदार्थ एवं चूना पाया जाता है।
(2.) क्षारीय चट्टानें (Basic igneous rock )
(3.) मध्यवर्ती चट्टानें (Intermediate igneous rock ) :- जब आग्नेय चट्टानों में सिलिका की मात्रा अम्लीय तथा क्षारीय चट्टानों के बीच की होती है। तो इन्हें मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान कहते हैं। इनका घनत्व 2.75 से 2.8 होता है।मध्यवर्ती चट्टानों के उदाहरण डायोराइट तथा एडेसाइट है।
(4.) अल्ट्रा बेसिक चट्टानें (Ultra basic igneous rock ) :- जब आग्नेय शैलों में सिलिका की मात्रा 45% से कम पाई जाती है। तो इन्हें अल्ट्रा बेसिक चट्टानें कहते हैं। इनका घनत्व 2.8 से 3.4 के मध्य होता है। अल्ट्रा बेसिक चट्टानों का उदाहरण पेरिडोटाइट है।
(3.) कणों के आधार पर आग्नेय चट्टानों का वर्गीकरण :- कणों के आधार पर आग्नेय चट्टानों को निम्न भागों में बांटा गया है। आग्नेय चट्टानों में कणों की बनावट मुख्यतः तीन बातो पर आधारित होती है।
👉 लावा के ठंडा होने तथा ठोस होने की गति। 👉 लावा की उत्पत्ति तथा उसकेे ठंडा होने का स्थान।
👉 तरल लावा के साथ जल एवंं गैसों की मात्रा।1. पेगमैटिटिक (बहुत बड़े कणों वाली आग्नेय चट्टान ):- उदारहण -अभ्रक।
2. फैनेरिटिक आग्नेय चट्टान (बड़े कणों वाली आग्नेय चट्टान) :- ग्रेनाइट,डायोराइट ।
3. अफैनिटिक (सूक्ष्म कणों वाली आग्नेय चट्टान) :- बेसाल्ट, फेलसाइट ।
4.ग्लासी (बिना कणों वालीआग्नेय चट्टान):- ऑब्सिडियन, प्यूमिस, परलाइट व पिचस्टोन ।
5.पोरफाइरिटिक (मिश्रित कणों वाली आग्नेय चट्टान) :-
6. फ्रागमेंटल (टुकडों वाली शैल) :- इसमें चट्टानोंं के बड़े-बड़े़े़े तथा छोटे छोटेेे टुकड़े सम्मिलित होतेे हैं। जो ज्ववालामुखी उद्गार के समय धरातल पर प्रकट होते हैं। बम, लेपीली, ब्रेसीया, ज्वालामुखी राख तथा धूल एवंं टफ सम्मिलित किए जाते हैं।
(ब) अवसादी शैल (Sedimentary rocks ) :-अवसादी चट्टानों का निर्माण अवसादो के समूहन के फलस्वरुप होता है। Sedimentary शब्द लैटिन भाषा के Sediment शब्द से लिया गया है जिसका तात्पर्य होता है - नीचे बैठना( Setting down ) अर्थात चट्टान चूर्ण के एकत्र होकर नीचे जमा होने से निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टान कहते हैं। इन चट्टानों में अवसाद की विभिन्न परतें जाती है। इस चट्टान की रचना के लिए आवश्यक पदार्थ प्राचीन चट्टानों की टूट-फूट तथा विघटन एवं नियोजन द्वारा प्राप्त होते हैं। अवसादी चट्टानों में सिलिका, कैल्साइट तथा लोहे योगिक तत्वों की प्रधानता होती है।
• अवसादी चट्टान की विशेषताएं :-
• अवसादी चट्टानों का निर्माण चट्टान चूर्ण तथा जीवावशेषों एवं वनस्पतियों केसमूहन से होती है। अतः इन चट्टानों में जीवाववशेष पाये जाते हैं।जिनके आधार पर चट्टान विशेष के निर्माण काल का पता लगाया जाता है।
• अवसादी चट्टानें क्रस्ट के सर्वाधिक क्षेत्र में पायी जाती है। ये चट्टानें भूपटल के लगभग 75% भाग को आवृत किए हुए हैं। शेष 25% भाग पर आग्नेय तथा रूपांतरित चट्टान का विस्तार पाया जाता है।
• क्रस्ट की बनावट में इन चट्टानों का योगदान केवल मात्र 5% का ही है। 95% भाग आग्नेय तथा रूपांतरित चट्टानों का है।
• अवसादी शैल में परते पायी जाती हैं।
• अवसादी चट्टानें रवेदार नहीं होती हैं।
• अवसादी चट्टानों में बड़े-बड़े स्थल रूपों जैसे बेथोलिथ, लैकोलिथ आदि के रूप में नहीं पायी जाती है।
• अवसादी चट्टानें क्षैतिज रूप में बहुत कम पायी जाती है। क्योंकि पार्श्ववर्ती दबाव के कारण इनमें मोड़ पड़ जाते है।
• ये चट्टाने सामूहिक रूप से अपनती तथा अभिनति के रूप में पायी जाती हैं।
• अवसादी चट्टानों में संधियोँ तथा जोड़ पाये जाते हैं। ये जोड़ संयोजक तल के लंबवत रूप में होते हैं।
• अवसादी शैलें असंगठित तथा संगठित एवं ढीली होती है। चट्टानों का संगठन संयोजक तत्व तथा खनिजों के ऊपर निर्भर करता है।
• अवसादी चट्टानें मुलायम होती है। जैसे चीका मिट्टी, पंख
• अवसादी चट्टानें कड़ी भी होती है। जैसे बालूका पत्थर।
• अवसादी चट्टानें अधिकतर भेद्य एवं प्रवेश्य होती है। जैसे बालूका पत्थर
• कुछ अवसादी चट्टानें अप्रवेश्य भी होती हैं। जैसे चीका मिट्टी
• अवसादी चट्टानों पर अपरदन का प्रभाव शीघ्र होता है।
• अवसादी चट्टानों से कोयला, स्लेट, संगमरमर नमक, पेट्रोलियम आदि खनिज प्राप्त किए जाते हैं। ये चट्टाने अपेक्षाकृत मुलायम होती है। इनका निर्माण सामान्यतः जल, पवन,हिम, जीव जंतुओं तथा रासायनिक प्रक्रियाओं के फलस्वरुप होता है।
👉 अवसादी शैल का वर्गीकरण:-
1. निर्माण में भाग लेने वाले अवसादो के आधार पर वर्गीकरण :-
(अ) यांत्रिक क्रियाओं द्वारा निर्मित अथवा चट्टान चूर्ण से निर्मित अवसादी चट्टानें :-
(1.) बालूका पत्थर (Sand stone )
(2.) जल से निर्मित बालूका पत्थर
(3.) कांग्लोमरेट अथवा गोलाश्म (Conglomerate)
(4.) चीका मिट्टी (Clay)
(5.) शेल (Shale)
(6.) लोयस (Loess)
(ब) जैविक तत्वों से निर्मित चट्टानें :-
(1.) चूना पत्थर (Lime stone)
(2.) कोयला (Cole)
(3.) पीट (Peat)
(स) रासायनिक तत्वों से निर्मित चट्टानें :-
(1.) खरिया मिट्टी (Chalk)
(2.) सेलखड़ी (Gypsum)
(3.) नमक की चट्टान (Salt rock)
2. अवसादी शैल के निर्माण में भाग लेने वाले कारकों के आधार पर वर्गीकरण :-
(1.) जलज चट्टानें
• सागर निर्मित तलछट चट्टानें
• झील निर्मित तलछट शैल
• नदीकृत तलछट शैल
(2.) वायु द्वारा निर्मित शैल :- लोयस
(3.) हिमानी द्वारा निर्मित चटानें :- हिमानी द्वारा परिवहन किए जाने वाले पदार्थों के जमाव के फलस्वरुप निर्मित चट्टानों को हिमानी कृत शैल कहते है। हिमानी कृत शैलों में टिल, पार्श्विक हिमोढ़, मध्यस्थ हिमोढ़, हिम ड्रिफ्ट आदि प्रमुख है।
3. रचना सामग्री के आधार पर वर्गीकरण :- अवसादी शैल का निर्माण कई प्रकार के पदार्थ तथा अवसादो से होता है। अपक्षय की क्रिया के कारण चट्टानों का विघटन तथा वियोजन होने से चट्टानें छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटती-फूटती रहती है।इस प्रकार से प्राप्त अवसाद को चट्टान चूर्ण कहते है। चट्टान चूर्ण, रासायनिक पदार्थ, घुलनशील पदार्थ तथा कार्बनिक पदार्थों के आधार पर अवसादी शैलों को 3 वर्गों में बांँटा गया है।
(1.) चट्टान चूर्ण से निर्मित चट्टाने :- बालूका पत्थर,कांग्लोमरेट,सिल्ट,चीका का मिट्टी तथा लोयस।
(2.) रासायनिक पदार्थों से निर्मित चट्टानें :- सेलखड़ी या जिप्सम, नमक की चट्टान।
(3.) कार्बनिक पदार्थों से निर्मित चट्टाने :- कार्बनिक तत्वों से निर्मित चट्टान का निर्माण जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के अवशेषों के संगठित होकर ठोस रूप धारण करने के कारण होता है। चूने तथा कार्बन की मात्रा के आधार पर इन चट्टानों को 3 वर्गों में विभाजित किया गया है
(1.) चूना प्रधान शैल :- इन चट्टानों का निर्माण जलाशय, झील तथा सागर में स्थित जीवों के अस्थिपंजर एवं वनस्पतियों के द्वारा होता है। जिनमें चुने की प्रधानता होती है। चूना प्रधान शैल के उदाहरण खरिया मिट्टी, डोलोमाइट चूना पत्थर आदि है।
(2.) कार्बन प्रधान शैल :- इन चट्टानों का निर्माण कार्बनिक तत्वों से युक्त वनस्पतियों के अवशेषों के जमा होने तथा संगठित होने से होता है। इनमें कार्बन की मात्रा पायी जाती है। कार्बन प्रधान शैलो के उदाहरण कोयला, पीट आदि है।
(3.) सिलिका प्रधान शैल :- जब चट्टानों में सिलिका की मात्रा अधिक होती है तो उन्हें सिलिका प्रधान चट्टान कहते हैं। इन चट्टानों का निर्माण रेडियोलेरिया एवं स्पंज जीवों, डायटम पौधों के अवशिष्ट भागों के संगठन से होता है। उदाहरण - गेसराइट।
(स) कायांतरित चट्टान (Metamorphic rocks) :- Metamorphic शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के Metamorphose से हुई है। जिसका तात्पर्य रूप परिवर्तन (Change in from) होता है। तापमान एवं दबाव के कारण आग्नेय तथा अवसादी चट्टानों के संगठन एवं स्वरूप में परिवर्तन या रूपांतरण हो जाता है। इस प्रकार निर्मित चट्टानों को रूपांतरित या कायांतरित चट्टान कहते हैं। ये चट्टानें सर्वाधिक कठोर होती है तथा इन चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाये जाते है।
• रूपांतरित शैलों का वर्गीकरण :-
(1.) अवसादी चट्टानों के रूपांतरण से निर्मित शैलें :- अवसादी चट्टानों से निर्मित रूपांतरित से शैलों को Meta-Sedimentary या rock para metamorphic rocks कहते हैं।
• चूना पत्थर - संगमरमर
• शेल - स्लेट
• बालूका पत्थर - क्वार्टजाइट
• कांग्लोमेरेट - क्वार्टजाइट
• चाॅक एवं डोलोमाइट - संगमरमर
• बिट्टूमिनस कोयला - ग्रेफाइट व हीरा
(2.) आग्नेय चट्टानों के रूपांतरण से बनी रूपांतरित शैलें :- आग्नेय चट्टानों के रूपांतरण से निर्मित शैलों को आग्नेय रूपांतरित शैलें कहते हैं।
• ग्रेनाइट - नीस
• बेसाल्ट -सिस्ट
• बेसाल्ट - एम्फिबोलाइट
(3.) रूपांतरित चट्टानों के पुनः रूपांतरण से निर्मितशैलें :-
• स्लेट - फाइलाइट
• फाइलाइट- सिस्ट
• गैब्रो - सरपेंटाइन
• चट्टान चक्र (Rock Cycle) :- पृथ्वी पर आग्नेय, परतदार तथा रूपांतरित चट्टानें पायी जाती है। इनके निर्माण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। इसे चट्टान चक्र कहते हैं।
Thanks for Reading... Plz follow my blog and share, like comment, viral this post... 🙏
2 टिप्पणियाँ
Best lecture for geography
जवाब देंहटाएंThanks 🙏
हटाएंPlease do not enter any spam link in the comment box.