एटलस धूमकेतु (ATLAS Comet) :-
1. खोज और नामकरण :- इसे हवाई द्वीप पर स्थित ATLAS प्रणाली द्वारा खोजा गया। इसका नामकरण प्रणाली के नाम पर किया गया।
2. विशेषताएँ :- यह एक लंबी अवधि का धूमकेतु है, जिसका उद्गम ओर्ट बादल (Oort Cloud) से हुआ है। यह धूमकेतु सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में घूमता है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, यह चमकीला और नग्न आंखों से दिखाई देने वाला था, लेकिन इसके विखंडित होने के कारण ऐसा नहीं हो सका l
मार्च 2020 में, वैज्ञानिकों ने पाया कि एटलस धूमकेतु छोटे-छोटे हिस्सों में टूट गया।
इसके टूटने का कारण सूर्य के पास आने से उत्पन्न गुरुत्वीय और तापीय प्रभाव थे। इसके विखंडन के बाद इसकी चमक कम हो गई और यह नग्न आंखों से अदृश्य हो गया।
इसकी अधिकतम चमक -5 मैग्नीट्यूड तक पहुंचने का अनुमान था, जिससे यह रात के आकाश में अत्यधिक चमकीला दिखाई दे सकता था। यह सूर्य से अधिकतम 0.25 खगोलीय इकाई (AU) की दूरी पर आया।
5. महत्व :- इस धूमकेतु ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को धूमकेतुओं के संरचनात्मक और गतिशील व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने का अवसर प्रदान किया। इसके विखंडन ने यह स्पष्ट किया कि लंबे समय तक धूमकेतु स्थिर नहीं रहते और वे आसानी से टूट सकते हैं।
धूमकेतु का महत्व :- धूमकेतु सौर मंडल के शुरुआती निर्माण के साक्षी होते हैं और इनमें बर्फ, धूल, और प्राचीन कार्बनिक पदार्थ होते हैं। एटलस जैसे धूमकेतुओं का अध्ययन हमें सौर मंडल की उत्पत्ति और विकास के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
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