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कालाहारी मरुस्थल के बुशमैन (सान) bushman tribes or San of Kalahari desert उत्पत्ति निवास क्षेत्र आर्थिक क्रियाकलाप समाज संस्कृति एवं विशेषताऐं

कालाहारी मरुस्थल के बुशमैन (सान)
(The BUSHMEN or SAN Of Kalahari  desert)
👉 सामान्य परिचय:- बुशमैन दक्षिण अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल में घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करने वाली आदिम जनजाति है।
• बुशमैन पारंपरिक रूप से आखेटक, शिकारी तथा भोजन संग्राहक लोग है। जो 30 से 100 व्यक्तियों के छोटे-छोटे दलों में निवास करते है।
• बुशमैन को सान, कोसाॅन, बसारवा, रव्वी आदि नामो से भी जाना जाता है।
• बुशमैन शब्द वर्तमान समय में निंदात्मक समझा जाता है। ये लोग अपने को सान कहलवाना पसंद करते है। 
• सन् 2001 की जनगणना के अनुसार वर्तमान में इन लोगों की संख्या लगभग 40,000 ही रह गई है।
• बुशमैन एक आखेटक में खाद्यय संग्राहक जनजाति है, जो 20 से 100 व्यक्तियों या इससे कम लोगों के समूह में विचरण करती रहती है।  
• बुशमैन शब्द की उत्पत्ति :- बुशमैन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 17वीं शताब्दी में डच आप्रवासियों द्वारा दक्षिण अफ्रीक के आखेटक लोगों के लिए किया गया था।
• वर्तमान समय में बुशमैन मुख्यतः कालाहारी मरुस्थल ( नामीबिया, बोत्सवाना ,अंगोला ) के निर्जन पर्यावरण तथा दक्षिणी पश्चिमी अफ्रीका के उपोष्ण घास के मैदानी भागों में निवास करते है।
👉 शारीरिक लक्षण (Physical Traits) :-
बुशमैन लोगों की शारीरिक संरचना नीग्रोइड (नीग्रो एवं निग्रिटो ) प्रजाति से मिलती है। ये लोग नाटे कद के होते है।
• इनका कद 5 फीट 4 इंच अर्थात 150 से 160 सेंटीमीटर के मध्य होता है। 
• इनके होठ मोटे एवं बाहर की ओर निकले होते है। आंँखें खुली हुई चौडी़ होती है। इनके बाल घुंघराले होते है। इन लोगों का पेट अधिक बड़ा तथा बाहर की ओर निकला हुआ होता है। स्त्रियों के नितंब अधिक मोटे तथा विकसित होते है।
👉 निवास क्षेत्र (Habitat) :-  बुशमैन जनजाति का निवास क्षेत्र अफ्रीका का कालाहारी मरुस्थल है। ये लोग अफ्रीका में के कालाहारी मरुस्थल में 18 डिग्री दक्षिणी अक्षांश से 24 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के मध्य बेचूआना लैंड में निवास करते है।
• वर्तमान समय में बुशमैन मुख्यतः कालाहारी मरुस्थल ( नामीबिया, बोत्सवाना ,अंगोला ) के निर्जन पर्यावरण तथा दक्षिणी पश्चिमी अफ्रीका के उपोष्ण घास के मैदानी भागों में निवास करते है।
• बुशमैन लोग ओकाबांगो नदी और गामी झील से लेकर लिंपोपो नदियों, नोसोब नदियों के मध्य विचरण करते रहते है। कालाहारी मरुस्थल एवं नामीबिया मरुस्थल मुख्यतः उजाड़ एवं अशरण्य पर्यावरण से युक्त है। यहांँ वर्षा अत्यधिक अल्प होती है। कालाहारी मरुस्थल में वर्ष में 10 से 25 से.मी. वर्षा होती है। उत्तर की ओर जाने पर नमी की मात्रा बढ़ती जाती है। यहाँ अफ्रिका के सर्वाधिक भिन्नता से युक्त वन्यजीव भंडार पाया जाते है। 
• यहीं अफ्रीका महाद्वीप का प्रसिद्ध एटोसा राष्ट्रीय उद्यान भी स्थित है।
👉 प्राकृतिक पर्यावरण :- कालाहारी मरुस्थल की जलवायु उपोष्ण तथा शुष्क रेगिस्तानी है। यहांँ तापमान में अत्यधिक विषमता पाई जाती है। यहाँ मुख्यतः दो ऋतुऐं होती है।
(1) लंबी ग्रीष्म ऋतु :-ग्रीष्म ऋतु में तापमान 30 डिग्री से 40 डिग्री सेल्सियस के मध्य पाये जाते है। मरुस्थलीय भाग होने के कारण दिन और रात के तापमान में अधिक अंतर देखने को मिलता है। गर्मियों में दिन का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक पाया जाता है। रात में तापमान गिरकर 10 डिग्री सेंटीग्रेड तक आ जाता है।
(2) लघु शीत ऋतु :- शीतकाल में तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास पाये जाते है। रात्रि में सर्दियों में तापमान 5 डिग्री सेंटीग्रेड से भी कम हो जाता है। अधिक सर्दी के कारण शीत ऋतु की रातें अत्यधिक कष्टदायक हो जाती है।
 कालाहारी मरुस्थल में के उत्तर में वार्षिक वर्षा 50 सेंटीमीटर के लगभग होती है। दक्षिण पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है। वर्षा केवल ग्रीष्म ऋतु में ही होती है। शीत ऋतु शुष्क होती है। उत्तरी भाग में छोटे-छोटे वृक्ष एवं झाड़ियां पायी जाती है तथा चारागांहो में 50 से 90 सेंटीमीटर लंबी घासें पायी जाती है। 
इस प्रदेश में कुछ फलीदार पौधे भी आते है। इसमें बुशमैन खरबूजे प्रमुख है। इसे ये लोग शमा या नरस कहते है।
 बुशमैन लोगों के निवास क्षेत्र में छोटे वृक्ष, घास के मैदान और झाड़ियांँ पाई जाती है। यहाँ अनेक प्रकार के शाकाहारी एवं मांँसाहारी पशु पाये जाते है। बुशमैन अधिकांशतः छोटे जीवों को जैसे चींटी, छिपकली, मेंढक, आदि को खाते है। ये इस क्षेत्र में बहुतायत में पाये जाते है। कालाहारी मरुस्थल का धरातल ऊंँचा नीचा है और बीच-बीच में छोटी-छोटी पहाड़ियां भी देखने को मिलती है। यहाँ अधिक संख्या में बालुका स्तूप भी पाये जाते है।
👉 आर्थिक क्रियाकलाप (Economic Activity) :-
(1.) आखेट (Hunting) :-  कालाहारी मरुस्थल आखेट प्रधान क्षेत्र है और बुशमैन यहांँ के प्रमुख आखेटक है। वर्षा ऋतु के पश्चात इस प्रदेश में गामी नदी क्षेत्र और ओकाबांगो के दलदली क्षेत्रों में जल एकत्रित होने से अनेक प्रकार के पौधे उग आते है। जो विभिन्न प्रकार के शाकाहारी पशुओं का आहार होते है। इस मैदान में जिराफ, जेब्रा, शुतुरमुर्ग, हिरण, खरगोश चूहे, जंगली भेड़ आदि जंतु तथा अनेक प्रकार के पक्षी एवं रेंगने वाले कीड़े, दीमक, चीटियांँ अधिक संख्या में पाए जाते है। इस प्रदेश में हिंसक पशु शेर, चीते, जंगली कुत्ते, वन बिलाव गीदड़ आदि भी पाये जाते है। बुशमैन विभिन्न प्रकार के जीवो का शिकार करते है।
• बुशमैन लोग एक कुशल शिकारी होते है। ये लोग अपने किसी संबंधी के साथ शिकार पर जाते है।
• बुशमैन लोग पशु-पक्षियों की बोली की नकल करने में भी प्रवीण होते है। इनकी बोली की नकल कर ये शिकार को फंँसा लेते है।
• बुशमैन धनुष बाण के द्वारा पशुओं का शिकार करते है।
• बुशमैन लोगों द्वारा शिकार के लिए को मारने के लिए धनुष एवं विष बुझे बाणों का प्रयोग किया जाता है। इनके लिए विष वृक्षों के रस, सांप की थैली और मकड़ी के शरीर से बनाया जाता है।
• बुशमैन लोगों द्वारा बड़े पशुओं का शिकार उनको घेर कर कीचड़ या दलदल में फँसाकर किया जाता है। बड़े पशुओं का शिकार समूह बनाकर किया जाता है। शिकार से प्राप्त खाल का प्रयोग वस्त्र एवं थैले बनाने में किया जाता है।
(2) खाद्य संग्रहण :- बुशमैन लोगों द्वारा जंगल से विभिन्न जड़ीबूटियों, कंदमूल फल एवं विभिन्न प्रकार के छोटे जीवों जैसे चीटियांँ, दीमक,छिपकलीयाँ, मेंढक, मक्खियांँ, टिड्डडीयाँ आदि का भोजन हेतु संग्रहण किया जाता है। इस संग्रहण में स्त्रीयां भी सहयोग करती है। इस प्रकार संग्रहण द्वारा भी भोजन एकत्रित किया जाता है।
👉 भोजन (Food) :- बुशमैन अपना भोजन जंगली पशु पक्षियों, छोटे जीवों जैसे चीटियांँ, छिपकली, दीमक, मेंढक आदि के द्वारा प्राप्त करते है। बुशमैन लोग सर्वाहारी होते है।
• बुशमैन लोगों द्वारा जंगली तरबूज जिसे ये शमा, त्यामा (Tsama) कहते है ,से भोजन व जल की आपूर्ति करते है।
• बुशमैन लोग अपने शरीर की जूँ भी खा जाते है। • बुशमैन लोगों द्वारा पानी का संग्रहण शुतुरमुर्ग के अंडे के खोल अथवा हिरण के पेट से बनी थैली में किया जाता है।
• भोजन के  एकत्रीकरण का कार्य मुख्यतः स्त्रियों द्वारा किया जाता है। स्त्रियांँ जंगल से कंदमूल, फल, बेर, लार्वा,दीमक और छोटे, कछुए ,मेंढक छिपकली आदि का संग्रहण करती है।
👉 वस्त्र (Clothing ) :- बुशमैन लोगों द्वारा बहुत कम वस्त्र पहने जाते है। जिसका प्रमुख कारण यहांँ अधिक तापमान का पाया जाना है। इनके द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र इस प्रकार है।
1.) एप्रन (Apern) :-बुशमैन स्त्रियों द्वारा कमर के नीचे पहने जाने वाले स्कर्ट के समान वस्त्र को एप्रन कहा जाता है।
2.) क्रोस /क्लोक / चौगा/ क्रास (Cloak or Kaross):- यह बुशमैन स्त्रियों द्वारा पहना जाने वाला प्रमुख वस्त्र है। इस वस्त्र में वे अपने शिशु को भी लपेट कर रखती है। यह एक लबादे के आकार का वस्त्र होता है। जिसे बुशमैन लोग स्थानीय भाषा में क्रॉस कहते है। यह वस्त्र और बिस्तर बंद दोनों ही होता है। इस वस्त्र में बच्चा, भोजन तथा ईंधन लपेटकर लाया जाता है।
• पुरुषों द्वारा तिकोनी लंगोटी पहनी जाती है तथा कमर को ढकते हुए एक लबादा पहना जाता है।
• बुशमैन लोगों द्वारा चमड़े की टोपियांँ और कठोर चमड़े की जूतियांँ भी पहनी जाती है।
• बुशमैन लोगों के वस्त्र चमड़े से निर्मित होते है।
• बुशमैन लोग कभी भी स्नान नहीं करते है। ये लोग त्वचा को खुशक होने से बचाने के लिए शरीर पर चर्बी मिली हुई लाल या सफेद मिट्टी का लेप करते है।
👉निवास गृह (Houses or Shelter) :-  बुशमैन घुमक्कड़ शिकारी लोग है। जो एक ही स्थान पर कुछ दिन या सप्ताह से अधिक नहीं ठहरते है। ये लोग किसी भी प्रकार की स्थाई संपत्ति का संचय नहीं करते हैं और न ही कभी स्थाई निवास ही बनाते है। दिन की तेज धूप एवं रात्रि की भीषण ठंड से बचने के लिए इन लोगों द्वारा गुफाओं एवं  कंदराओं में आश्रय लिया जाता है। बुशमैन लोगों द्वारा भूमि में बने हुए खड्डो के ऊपर घास फूस या चमड़े की खाल डालकर अस्थाई घर बनाए जाते है। कुछ बुशमैन लोगों द्वारा झोपड़ियों का भी निर्माण किया जाता है। इन लोगों द्वारा अर्धवृत्ताकार झोपड़ियाँ बनायी जाती है। झोपड़ी का निर्माण लकड़ी, पेडो़ की पत्तियों , घास फूस एवं खाल से ढक किया जाता है। झोपड़ी में प्रवेश के लिए एक छोटा द्वार बनाया जाता है।
• वेर्फ (Werf) :- बुशमैन लोगों के अल्पकालीन ग्राम को वेर्फ कहते है। इसमें 10 से 12 झोपड़ियाँ होती है।
👉 औजार एवं बर्तन (Tools and Weapons) :- बुशमैन लोगों द्वारा औजारों के रूप में तीर कमान, नुकीला डंडा, भाला, बरछा, अग्नि दंड आदि का प्रयोग किया जाता है। इन लोगों द्वारा शिकार हेतु विष बुझे बाणों  का प्रयोग किया जाता है। बुशमैन लोगों द्वारा तीरों का निर्माण शुतुरमुर्ग एवं जिराफ की हड्डियों से किया जाता है। बुशमैन शुतुरमुर्ग के अंडे की खोल का प्रयोग जल रखने एवं जल लाने हेतु भी करते है।
👉 समाज एवं संस्कृति (Society and Culture) :- बुशमैन लोगों का एक सामाजिक संगठन होता है। इनका सामाजिक संगठन छोटा होता है। ये छोटे-छोटे समूहों में निवास करते है। सामान्यतः बुशमैन लोगों के एक दल में 20 से 100 लोग निवास करते है।सामान्यतः दल या परिवार का वरिष्ठठतम व्यक्ति ही मुखिया होता है। इसी की सलाह से शिविर या आवास के स्थान का चुनाव किया जाता है।
• बुशमैन स्त्रियों द्वारा झोपड़ियों का निर्माण किया जाता है।
• बुशमैन लोगों के अलग-अलग दल होते है। प्रत्येक दल का अपना अधिकार क्षेत्र होता है। एक दल में कई परिवार सम्मिलित होते है।
• बुशमैन लोगों के प्रत्येक परिवार की अलग-अलग झोपड़ी या निवासग गृह होता है।
• बुशमैन लोगों में अधिकांश विवाह एक विवाही ही होते है। इन लोगों में बहुविवाह भी प्रचलित है। • बुशमैन लोगो का समृद्ध और जटिल मिथक शास्त्र है। फिर भी समाज में धार्मिक प्रथाएं एवं  संस्थाओं का अभाव पाया जाता है। जादुई और चिकित्सकीय प्रथाएं, नृत्य और भाव समाधि की स्थितियों के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। जो मनोवैज्ञानिक और शारीरिक उपचार की दोनों व्यवस्थाओं को प्रदर्शित करती है।
• सूखे के मौसम में बुशमैन लोग किसी जल स्रोत के निकट अपना आवास बनाते है। इसके अलावा ये लोग अपने क्षेत्र में शिकार की तलाश में भ्रमण करते रहते है।
• बुशमैन लोगों द्वारा सामूहिक आखेट के लिए एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय से मिलकर आखेट करते है।
• बुशमैन लोगों में प्रत्येक दल के सदस्य अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर ही शिकार कर सकते है। कभी-कभी घायल शिकार का पीछा करते हुए पड़ोसी क्षेत्र में शिकार के प्रवेश कर जाने पर संबंधित क्षेत्र के दल से मिलकर शिकार का बंटवारा करना पड़ता है।
• पड़ोसी लोगों से अच्छे संबंध नहीं होने के कारण बुशमैन लोगों को कभी-कभी युद्ध भी करने पड़ते है। विभिन्न जातियों में स्थाई संधि न होने के कारण सीमाओं का अतिक्रमण और हत्या एक सामान्य घटना होती है। जिससे वैमनस्य बढ़ता रहता है। फलस्वरूप छोटे-मोटे आक्रमण कई पीढ़ियों तक चलते रहते है। जिसमें पूरा दल सम्मिलित होता है।
• बुशमैन लोगों द्वारा भूत प्रेत एवं जादू टोने में भी विश्वास किया जाता है।
• बुशमैन लोगों द्वारा चट्टानों पर पेंटिंग का कार्य भी किया जाता है। ये लोग सुंदर चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है। यह कला इनको इनके पूर्वजों द्वारा प्राप्त हुई है। इन लोगों द्वारा गुफाओं की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी की जाती है।
👉 प्राकृतिक पर्यावरण से समायोजन :- बुशमैन लोग गर्म मरुस्थल के निवासी है। इनके जीवन पर भौतिक पर्यावरण की अमित छाप स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। ये लोग कालाहारी मरुस्थल के कष्टदायक वातावरण में निवास करते है। इस प्रदेश में भोजन का अभाव सदैव बना रहता है। शिकार मिलने पर ये लोग भरपेट भोजन करते है, परंतु कभी-कभी इन्हें शुष्क ग्रीष्म ऋतु में कई दिनों तक भोजन एवं जल का अभाव सहना पड़ता है। बुशमैन पुरुषों का कार्य मुख्यतः आखेट करना होता है। स्त्रियांँ पर्यावरण से कंदमूल, फल आदि एकत्रित करती है।
• बुशमैन लोगों द्वारा शिकार किए गए पशु के प्रत्येक भाग मांँस, हड्डी, खाल, सिंग इत्यादि का संपूर्ण उपयोग करते है। ये लोग मादा और अल्प वयस्क पशुओं का शिकार बहुत कम करते है।
• बुशमैन लोग गर्मी और सर्दी से बचने के लिए शरीर पर चर्बी मिलाकर लाल या सफेद मिट्टी का लेप करते है। ये लोग छोटी-छोटी झोपड़ियों तथा गुफाओं में निवास करते है। इस बुशमैन लोगों ने अपने मरुस्थलीय पर्यावरण से पूर्णतया समायोजन कर लिया है।
👉 बुशमैन जनजाति पर आधुनिकता का प्रभाव :-  बुशमैन लोगों पर वर्तमान समय में आधुनिक वातावरण का प्रभाव पड़ा है। इन लोगों द्वारा अब आदिम कृषि की जाने लगी है।
• बांटू , हान्टेनटाॅट एवं यूरोपीय लोगों के आक्रमणों के कारण इनकी संख्या में कमी आई है।


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