जीवन परिचय :-
होमर यूनान के महान लोकप्रिय कवि थे। होमर को यूनानी साहित्यिक परंपरा का पिता कहा जाता है। होमर द्वारा नवीं शताब्दी ईसा पूर्व में पृथ्वी के विभिन्न भागों के पर्यावरण और उनके निवासियों की जीवन पद्धति पर वर्णनात्मक लेखन का आरंभ किया गया।
प्रमुख रचनाएं :-यूनानी महाकवि होमर ने नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व में दो महाकाव्य की रचना की। यह दोनों ग्रंथ छंदबद्ध ग्रंथ हैं।
1. इलियड (Illiod) :- यह ग्रंथ ऐतिहासिक भूगोल की मूल्यवान सूचनाओं व अज्ञात विश्व की जानकारियों से पूर्ण है। इस ग्रंथ में विभिन्न स्थानों, जनपदों एवम वहाँ की पर्यावरणीय दशाओं एवं विभिन्न मानव वर्गों के भौगोलिक वर्णन मिलते हैं।
2.ओडिसी (Odysey) :- इस ग्रंथ में ज्ञात विश्व की परिधि पर स्थित विभिन्न स्थानों और प्रदेशों का सजीव चित्रण मिलता है। इस ग्रंथ में ट्राजन युद्ध के वर्णन तथा यह ऐतिहासिक भूगोल की मूल्यवान सूचनाओं व ज्ञात विश्व की जानकारियों से परिपूर्ण है। इस महाकाव्य का नायक ओडेसेस है।इसमें ट्राय राज्य के पतन के बाद ओडेसस की इथाका का अर्थात स्वदेश वापसी का वर्णन है। उसकी नौका के तूफान में फँस जाने के कारण वह 20 वर्ष पश्चात स्वदेश पहुंचता है।
3. ट्रिनीयस (Triniyas)- इस ग्रंथ की रचना भी होमर द्वारा की गयी है।
(1):- होमर के अनुसार पृथ्वी का आकार गोल है। यह चारों ओर से सागर सरिता(ocean River) से घिरी हुई है। आकाश लंबे लंबे स्तंभों पर टिका हुआ है।आकाश का विस्तार भी पृथ्वी के बराबर है। ये स्तंभ एटलस पर्वतों के अधिकार में है। होमर ने अपनी कविताओं में कई बार व्यक्त किया है कि सूर्य उदय एवं अस्त सागर सरिता से होता है।
(2.) :- होमर ने चारों ओर से प्रवाहित होने वाली चार प्रकार की हवाओं का वर्णन किया है।
(अ) बोरस (Bores) :- यह उत्तर से बहने वाली शक्ति से भरी ठंडी हवा है जो आकाश को स्वच्छ बनाती है। (ब) यूरस (Eurus) :- यह उष्ण व सरल हवा है। स (स) नोटस (Notus) :- यह दक्षिण से प्रवाहित होने वाली तूफानी आद्र हवा हैै जो कभी -कभी उग्र रूप से बहती है।
(द) जेफाइरस (Zephyrus) :- यह पश्चिमी हवा है जो भयंकर झंझावत एवं चिपचिपी क्ष्है।
(3) होमर यूरोप और एशिया के नामों से परिचित नहीं था। यूरोप नाम से अभिप्राय ऐजियन सागर तट से था जहां सूर्य अस्त होता था। एशिया से अर्थ सूर्योदय का तट माना गया था।
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Mahipal Gaur🙏