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यूनानी भूगोलवेत्ता हेरोडोटस (Greek geographer Herodotus , 485-425 B. C. ) :- भूगोल में योगदान (contribution in geography)

 


जीवन परिचय:-

प्रसिद्ध यूनानी विद्वान हेरोडोटस प्रथम एवं अग्रज इतिहासकार था। हेरोडोटस ने ऐतिहासिक घटनाओं को भौगोलिक स्वरूप प्रदान किया । उनके लेखों में भौगोलिक घटनाओं का ऐतिहासिक स्पष्टीकरण देखने को मिलता है । अतः हेरोडोटस को इतिहास का पिता (Father of History) भी कहा जाता है । हेरोडोटस की मान्यता थी कि " समस्त इतिहास का विवेचन भौगोलिक दृष्टिकोण से और भूगोल का विश्लेषण ऐतिहासिक दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए "
 हेरोडोटस ने ऐतिहासिक भूगोल में  महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 
*** हेरोडोटस का जन्म पांचवी सदी ईस्वी पूर्व में हालीकारनासिस में हुआ था । हेरोडोटस ने हेलेनिक संस्कृति के केंद्र एथेंस में भी रहा था। 
*** एथेंस से वह 433 ई.पू.मे दक्षिणी इटली के नगर थूरी( Thurii) गया । यहीं  पर उसने अपना अधिकांश लेखन कार्य पूरा किया। 
*** हेरोडोटस एक महान यात्री था। जिसका भूगोल में उत्कृष्ट कोटि का योगदान है क्योंकि वह व्यक्तिगत अवलोकनो के आधार पर लिखता था। पृथ्वी के धरातल के वर्णन के साथ -साथ उसने वहां की तत्कालीन जनजातियों व उनके जीवन का रोचक विवरण प्रस्तुत किया है। अतः मानव विज्ञानी (Anthropologists) उसे अग्रणीय प्रजाति वैज्ञानिक (Enthographer) भी मानते हैं।  

प्रमुख रचनाएं :-
1 हिस्टोरोग्राफी (Histrographic) 

हेरोडोटस का भौगोलिक योगदान :-
 1.पृथ्वी की आकृति के विषय में हेरोडोटस के विचार :- हेरोडोटस पैथागोरियन दार्शनिक संप्रदाय का अनुयायी था। पृथ्वी की आकृति के विषय में हेरोडोटस के विचार हिकेटियस से भिंन्न थे। हेरोडोटस पृथ्वी को वृत्ताकार महासागर से घिरा हुआ नहीं मानता था । पृथ्वी के संबंध में उसके विचार होमर से मिलते थे।  वह पृथ्वी को समतल थाली के समान मानता था।  जिस पर सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर चाप की तरह यात्रा करता है। 
2. नील नदी के संबंध में हेरोडोटस के विचार:-  
हेरोडोटस ने अपने विवरण में नील नदी में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ का स्पष्टीकरण  किया था। हेरोडोटस का ज्ञान नील नदी के स्रोत और उसके ऊपरी प्रवाह मार्ग के बारे में बहुत अशुद्ध था।  हेरोडोटस ने भूमि के वितरण तथा ईस्टर (डेन्यूब) ,नील नदियों की प्रवाह दिशा व स्रोत में एक जैसी समानता स्थापित की । हेरोडोटस को धरातल के स्वरूप में परिवर्तन लाने वाले भौतिक प्रक्रमो के बारे में ज्ञान था।  उसने बताया कि नील नदी का डेल्टा नदी द्वारा इथोपिया से लाई गई गाद या कांप मिट्टी से निर्मित हुआ है । यह गाद काले रंग की है जो सरलता से नील नदी के पानी में घुल जाती है।  उसने भूमध्य सागर में निर्मित नील नदी के डेल्टा का निर्माण भी इसी गाद के जमाव से माना है।  हेरोडोटस ने डेल्टा निर्माण की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया । उसने मियांडर नदी (Meander) के डेल्टा को भी नदी तलछट जमाव का ही परिणाम कहा । हेरोडोटस ने नील नदी के डेल्टा के लिए सर्वप्रथम डेल्टा शब्द का प्रयोग किया था। 
3. काला सागर (Black sea)  के संबंध में हेरोडोटस के विचार:-
काला सागर के संबंध में हेरोडोटस का ज्ञान अपने पूर्व विद्वानों की तुलना में अधिक सही था।  वह इसके उत्तर में फैले देश और वहां की जातियों के विषय में  पर्याप्त जानकारी  रखता था । काला सागर  (यूगजियन सागर ) में हेरोडोटस ने जहाज चला कर अवलोकन एवं सर्वेक्षण कार्य किया था।  इस सागर में यूनानी व्यापारी व्यापारिक गतिविधियों  में  संलग्न  थे।  हेरोडोटस ने काला सागर (यूगजियन सागर ) को अद्भुत सागर (Most wonderful of all seas )  कहा है।  यह सागर 110 मील लंबा और 130 मील चौड़ा था । *** काला सागर की माँ के नाम से मशहूर अजोव सागर के विषय में हेरोडोटस का ज्ञान अधूरा था ।   आजोव सागर का विस्तार  यूगजियन सागर की तुलना में  1/12 भाग अधिक बड़ा था । 
4. कैस्पियन सागर के विषय में हेरोडोटस के विचार:-
  हेरोडोटस प्रथम विद्वान था जिसने कैस्पियन सागर को आंतरिक समुद्र माना इससे पूर्व अलेक्जेंड्रिया युग के सभी भूगोलवेताओं , हिकेटियस एवं इसके समकालीन भूगोलवेताओं ने कैस्पियन सागर को उत्तरी महासागर की एक भुजा  माना था । हेरोडोटस का ज्ञान कैस्पियन सागर के विषय में अपने सभी उत्तराधिकारी विद्वानोंं से अधिक शुद्ध था । 
5. एशिया के विषय में हेरोडोटस का विवरण:-
एशिया के विषय में हेरोडोटस का ज्ञान पश्चिमी एशिया पर विस्तृत फारस साम्राज्य तक ही सीमित था। हेरोडोटस  के अनुसार एशिया का विस्तार इरिथ्रेयन सागर से  कैस्पियन की ओर तथा भूमध्य सागर से काला सागर तट व सिंधु नदी तक विस्तृत था । इसके पूर्व के प्रदेशों के विषय में हेरोडोटस को स्पष्ट जानकारी थी । हेरोडोटस ने  फारस साम्राज्य के विषय में बताया की फारस साम्राज्य प्रशासन व कर वसूली के उद्देश्य से 20 प्रांतों में विभाजित था।  हेरोडोटस उन प्रांतों एवं इन में निवास करने वाली जनजातियों के विषय में जानकारी रखता था । अरब सागर (Erythean sea)   से कैस्पियन सागर की ओर उसने चार प्रमुख जातियों के निवास स्थानों की पहचान की  थी।  जिसमें फारसी , मेडेज , सास -प्रियन , कोलचि प्रमुख थे । हेरोडोटस एशिया की पर्वत पर्वत श्रंखला टारस एलबुर्ज जागरण हिंदुकुश हिमालय पर्वत श्रंखलाऔ से परिचित नहीं था । हेरोडोटस को दजला फरात नदियों के मार्गों और आर्मीनिया पहाड़ी में इन नदियों के उद्गम की जानकारी थी। 
*** हेरोडोटस ने राजशाही मार्ग ( Royal Road) का उत्कृष्ट विवरण प्रस्तुत किया है । यह मार्ग सार्डीस से सूसा नगर तक जाता था । इस मार्ग के बीच में जगह जगह पर शाही स्टेशन थे।  स्टेशनों पर कारवां सरायें (Reast House)  स्थिति थी।   यह मार्ग लगभग 1350 मील लंबा था । 
 *** हेरोडोटस ने हिंद महासागर में अरब सागर (Erythean sea) की स्थिति  दक्षिण एशिया की ओर किया बताई थी  जो अरब की खाड़ी (Red sea) से सिंधु नदी के मुहाने तक विस्तृत है । 

*** हेरोडोटस ने भारत  तथा  उसके निवासियों का वर्णन बहुत ही रोचक पूर्ण तरीके से किया है । हेरोडोटस  को गंगा के उपजाऊ मैदान के विषय में जानकारी नहीं थी।  वह सिंधु नदी को पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई मानता था।  सिंधु के पूर्व में कोई भी  जनजाति निवास नहीं करती थी।  वहां विशाल रेत का मरुस्थल स्थित था । हेरोडोटस को एशिया की पूर्वी सीमा के विषय में ज्ञान नहीं था ।  उसने भारत के हाथियों का जिक्र नहीं किया है । उसके अनुसार हाथी केवल नील नदी के क्षेत्र के अलावा कहीं भी नहीं पाए जाते थे।  हेरोडोटस को यह जानकारी  थी कि भारतीय कपास उत्पन्न करते हैं एवं उसका प्रयोग वस्त्रों  के  निर्माण में करते हैं ।  हेरोडोटस के अनुसार भारतीय बॉस  , सरकंडे आदि से धनुष बनाने का कार्य भी करते थे ।  हेरोडोटस को कस्पातीरस नगर (Caspatyrus)  के विषय में ज्ञान था । 

6. यूरोप के विषय में  हेरोडोटस का विवरण :- 
हेरोडोटस को यूरोप के अधिकांश क्षेत्रों के विषय में अधिक जानकारी नहीं थी । हेरोडोटस ने डेन्यूब नदी को विश्व की सबसे नदी सबसे बड़ी नदी माना है । उसने कार्पिस (कारपेथियन पर्वत ) व  आल्पिस (आल्पस पर्वत ) को डेन्यूब नदी की दो बड़ी सहायक नदियों के रूप में वर्णित किया । हेरोडोटस ने निस्टर्  (डेन्यूब ) नदी के मैदानी क्षेत्र को नील नदी के मैदानी भाग के बाद विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र माना।  हेरोडोटस तनाइस नदी (डान नदी )का उल्लेख अपने विवरणों में किया है । नीस्टर नदी को सीरिया की  , डेन्यूब के पश्चात सबसे बड़ी नदी वर्णित किया ।   हेरोडोटस को सिथिया के विषय में अच्छा ज्ञान था।  यह देश अजोव  सागर के पश्चिम में यूगजियन  सागर के उत्तर में स्थित था।  यहां यूनानी व्यापारिक बस्तियाँ  थी।   हेरोडोटस इस क्षेत्र का अवलोकन कर चुका था । हेरोडोटस ओलबिया  व नीस्टर नदियों के बीच के प्रदेश में निवास कर चुका था।  हेरोडोटस  ने सिथिया में आवासित जनजातियों  की जीवन पद्धतियों आदतों  में भिन्नता का कारण वहां की भौगोलिक स्थितियों को माना।  हेरोडोटस ने बताया कि नीस्टर नदी की घाटी में खेतिहर जातियां निवास करती है । पूरब की ओर यायावर  (घुमक्कड़)  जनजातियों का निवास है । अजोव सागर के तट पर शाही जातियों का निवास था।
7. अफ्रीका महाद्वीप के विषय में हेरोडोटस का विवरण:-
अफ्रीका महाद्वीप के विषय में हेरोडोटस को पर्याप्त जानकारी थी।  हेरोडोटस  ने  असवान तक की यात्रा की थी । असवान उस समय यूनानी जनजीवन व संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र था । अफ्रीका महाद्वीप के अंदरूनी आंतरिक भागों के विषय में हेरोडोटस का ज्ञान नील नदी के मार्ग तक ही सीमित था । हेरोडोटस ने एलफेंटाइन तक की यात्रा की थी । जो नील नदी के प्रथम प्रपत के नीचे स्थित है। जलप्रपात के निर्माण के विषय में हेरोडोटस ने  बताया कि भूमि के उठने से जो आकृति निर्मित होती है वह प्रपात कहलाती है।  हेरोडोटस ने बताया कि नील नदी के सहारे मारोज स्थित है।  यह इथोपिया की राजधानी थी।  जो खार्तूम के उत्तर में स्थित था ।  मारोज के आगे अशमाक प्रजाति के मरुस्थलवासी लोगों का निवास था। 
ये लोग खार्तूम के दक्षिण में नीली नील वह सफेद नील  नदी  शाखाओं के मध्य इलाके में निवास करते थे।   अफ्रीका के दक्षिणतम भागों पर  मारकोबियम लोगों  का निवास था।  जिन्हें हेरोडोटस  दुरस्तवासी मानता था ।ये लोग लंबे तगड़े , हष्ट पुष्ट, , खूबसूरत थे।  इनके प्रदेश में इतना स्वर्ण था कि कैदियों को सोने की जंजीरों में जकड़ा जाता था।  ये लोग मृतकों को पारदर्शक स्फटिक स्तंभों में बंद रखते थे तथा उन्हें दफनाते नहीं थे । इनका भोजन मांस व दूध था।  ये लोग सोमालिया के निवासी थे । अफ्रीका के पश्चिमी तट के विषय में हेरोडोटस का ज्ञान अल्प था। अफ्रीका के पश्चिमी तट पर आदिमकालीन जनजातियां बसी हुई थी।  जिनमें कार्थेज  वासि प्रमुख थे । कार्थेज वासी गूंगा व्यापार या मूक -व्यापार  करते थे । आज भी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में निवास करने वाली आदिम जनजातियां इस प्रकार के गूंगे लेनदेन अर्थात गूंगा व्यापार करती है।  हेरोडोटस ने उस बस्ती के विषय में कोई जानकारी नहीं दी है जहां  मूक व्यापार (Dumb -Commerce) संचालित होता था।  
अफ्रीका के आंतरिक भागों को हेरोडोटस ने तीन अक्षांशीय कटिबंधों में विभक्त किया था । 
(1) भूमध्य सागर का तट  :-  यह एटलस पर्वतों से नील डेल्टा तक विस्तृत है । यहां यायावर एवं कृषको का निवास था । 
(2) दूसरा कटिबंध :-  भूमध्यसागर के  दक्षिण में जंगली जीव जंतुओं का क्षेत्र है । अरब वासी इसे  खजूरों का मुल्क कहते थे । हेरोडोटस ने  यहां के मरू उद्यानों का उल्लेख किया है । 
(3) तीसरा कटिबंध  :- भूमध्य सागर के दक्षिण में स्थित सहारा मरुस्थल  था । हेरोडोटस ने  यहां के पाँच  मरू उद्यानों का नाम उल्लेख किया है ये मरू उद्यान एक दूसरे से 10 दिवसीय यात्रा की दूरी पर स्थिति थे। 

विश्व भूभाग का विभाजन:-
हेरोडोटस प्रथम विद्वान था जिसने विश्व भूभाग को तीन महाद्वीपों में विभक्त किया । 
(1) यूरोप 
(2) एशिया 
(3) लीबिया (अफ्रीका)
*** हेरोडोटस  यूरोप के आकार को संयुक्त एशिया व लीबिया (अफ्रिका) के बराबर मानता था । वह मिस्र की पश्चिमी सीमा को एशिया और लीबिया के बीच स्थित सीमा मानता था। एशिया और यूरोप के बीच बासफोरस  जलडमरूमध्य , डॉन नदी (तनाइस नदी)  , कैस्पियन सागर एवं  अमू दरिया विभक्त रेखा थी । 
       (हेरोडोटस के अनुसार ज्ञात विश्व)

महत्वपूर्ण बिंदु:- 
(1) हेरोडोटस  ने तत्कालीन विश्व का मानचित्र निर्मित किया था । जिसमें भूमध्य सागर को मध्य में दिखाया गया था । मानचित्र में भारत को भी प्रदर्शित किया गया था । 
(2) हेरोडोटस प्रथम  यूनानी विद्वान था जिसने विश्व मानचित्र पर याम्योत्तर रेखा (Meridian)  खींचने का प्रयास किया था । यह रेखा मिश्र से साइनोप प्रायद्वीपीय  व डेन्यूब के  मुहाने तक खींची गई थी ।
 (3) हेरोडोटस ने भारतीय मूल प्रजाति हेतु हिनेट् (Hinetoo) शब्द का प्रयोग किया था। 
(4) हेरोडोटस प्रथम व्यक्ति था जिसने भारत का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया था । 
(5) हेरोडोटस   प्रथम भूगोलवेत्ता थे , जिन्होंने अफ्रीका एवं एशिया महाद्वीप को लाल सागर द्वारा विभाजित बताया था । 
(6) वातावरण निश्चयवाद की विचारधारा का प्रारंभ हेरोडोटस  से  ही माना जाता है। 
(7) हेरोडोटस ने सर्वप्रथम आवासीत क्षेत्रों के लिए Oikaunere  शब्द का प्रयोग किया था। 
(8) हेरोडोटस  ने  फारसी साम्राज्य का इतिहास लिखा था। इन्हें इतिहास  का पिता एवं ऐतिहासिक भूगोल का पिता कहा जाता है।

(9) हरोडोटस  प्रथम विद्वान था जिसने बताया कि पवने ठंडे क्षेत्रों से गर्म  भागो  की ओर चलती है।   उसे  वायुदाब के विषय में भी जानकारी थी। 

 
इस प्रकार स्पष्ट है कि हेरोडोटस ने इतिहास एवं भूगोल के विकास में पर्याप्त रूप से योगदान दिया। 
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