(Tiger project / Reserve in India)
👉 सामान्य परिचय :- बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। बाघों के संरक्षण के लिए भारत में प्राचीन काल से ही प्रयास किए जाते रहे है। भारत में समय-समय पर वन्य जीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए कई नियम एवं कानून पारित किए गये है। भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 1991) का गठन कर वन्यजीवों के संरक्षण हेतु एक मजबूत नीति का निर्माण किया गया है। यह अधिनियम भारत में सन 1991 में लागू हुआ था। भारत में बाघों के संरक्षण हेतु अनेक प्रयास किए गए है। ये इस प्रकार है।
👉 राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना (National Wild life action plan) :- भारत में वन्य जीव संरक्षण के उद्देश्य से सन 1983 में राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना की शुरुआत की गयी। इस योजना के अंतर्गत वन्य जीव संरक्षण हेतु कार्यक्रम एवं परियोजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी। यह कार्य योजना वर्ष 1972 में पारित वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को लागू कराने एवं दुर्लभ तथा लुप्त प्राय वन्य जीवों के संरक्षण के उद्देश्य हेतु शुरू की गई थी। इस कार्य योजना के अंतर्गत ही बाघ परियोजना की शुरुआत की गयी।
📝...भारत में बाघ परियोजना (Project tiger in India) :- भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि करने तथा उन्हें सुरक्षित आवास व प्रजनन क्षेत्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 1972 में बाघ परियोजना का शुभारंभ किया गया।
• भारत में उत्तराखंड राज्य में स्थित जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क से 1 अप्रैल 1973 को टाइगर मैन ऑफ इंडिया स्वर्गीय श्री कैलाश सांखला (जोधपुर, राजस्थान) के निर्देशन में बाघ परियोजना की शुरुआत की गई थी।
• राजस्थान (जोधपुर) के कैलाश सांखला के नेतृत्व में पहली बार इंदिरा गांधी ने प्रोजेक्ट टाइगर नामक कार्यक्रम 1973 में शुरू किया। कैलाश सांखला को टाइगर मैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है।
• 1973 में जब प्रोजेक्ट टाइगर बनाये गये तब भारत में 9 टाइगर रिजर्व घोषित किए गये थे। ये निम्न थे। - मानस, पलामू, रणथंबोर, बांदीपुर, कान्हा, मेलघाट, जिम कार्बेट, सुंदरवन और सिमलीपाल।
• बाघ परियोजना की शुरुआत वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर (WWF) एवं भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड द्वारा 1970 में गठित राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना के एक विशेष कार्य दल की संस्तुति पर की गई थी।
• वन्य जीव संरक्षण की दृष्टि से यह विश्व की सबसे बड़ी परियोजना है।
👉 राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ( National Tiger conservation authority/ NTCA) :- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का गठन वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत किया गया। NTCA के अध्यक्ष भारत के पर्यावरण मंत्री होते है तथा पर्यावरण राज्यमंत्री इसके उपाध्यक्ष होते है। संसद के तीन सदस्य भी इसमें शामिल होते है तथा अन्य सदस्य होते है।
• बाघ परियोजना के संचालन हेतु बाघ परियोजना निदेशालय का गठन किया गया है। इस निदेशालय का नाम 4 सितंबर 2006 को बदलकर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Conversation Authority) कर दिया गया।
👉 उद्देश्य :-
• इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवो के प्रबंधन तथा उनकी सुरक्षा के उपायों के साथ-साथ ऐसे क्षेत्रों का पारिस्थितिक विकास करना जहांँ बाघ पाये जाते है।
• इस योजना का द्वारा बाघों की गिरती संख्या को रोकना तथा पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए उनकी संख्या में वृद्धि करना था।
• इसके अलावा बाघ परियोजना के क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को आत्मनिर्भर बनाना ताकि वे बाघ परियोजना संचालित क्षेत्रों के संसाधनों पर निर्भर न रहें एवं बाघों के संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।
• भारत में बाघों की पहली गणना 1972 में की गई थी। उस समय देश में 1827 बाघ थे।
• सन 2006 से बाघों की गणना हेतु नई तथा आधुनिक पद्धति की शुरुआत की गयी। इस पद्धति के तहत बाघों की गणना के लिए अत्याधुनिक शक्तिशाली कैमरों, सेटेलाइट, डीएनए विश्लेषण और पंजों के निशानों की मदद ली जाती है।
• देश में वर्ष 1970 से बाघों के शिकार को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया।
👉 भारत के टाइगर रिजर्व (Tiger project /Reserve of India ) :- वर्तमान में भारत में कुल 53 टाइगर रिजर्व है। ये निम्नलिखित है।
👉 भारत के टाइगर रिजर्व की सूची
(List of tiger reserve in India)
क्र.सं. बाघ परियोजना - राज्य
1. काजीरंगा बाघ परियोजना - असम
2. मानस बाघ परियोजना - असम
3. नामेरी बाघ परियोजना - असम
4. नामदफा बाघ परियोजना - अरुणाचल प्रदेश 5.पखुड़ बाघ परियोजना - अरुणाचल प्रदेश 6.नागार्जुन सागर श्रीशैलम बाघ परि. - तेलंगाना
7. वाल्मीकि बाघ परियोजना - बिहार
8. इंद्रावती बाघ परियोजना- छत्तीसगढ़
9. गुरु घासीदास राष्ट्रीय बाघ परि.- छत्तीसगढ़
10 पलामू बाघ परियोजना - झारखंड
11. बांदीपुर बाघ परियोजना - कर्नाटक
12. नागरहोल बाघ परियोजना - कर्नाटक
13. भद्रा बाघ परियोजना - कर्नाटक
14. पेरियार बाघ परियोजना - केरल
15. अन्नामलाई पैराम्बीकुलम - केरल, तमिलनाडु
16 बांधवगढ़ बाघ परियोजना - मध्य प्रदेश
17. बोरी सतपुड़ा बाघ परियोजना - मध्य प्रदेश 18.कान्हा बाघ परियोजना - मध्य प्रदेश
19. पन्ना बाघ परियोजना - मध्य प्रदेश
20.पेंच बाघ परियोजना - महाराष्ट्र
21. तदोबा अंधारी बाघ परियोजना - महाराष्ट्र
22. सहयाद्री बाघ परियोजना - महाराष्ट्र
23. डंपा बाघ परियोजना - मिजोरम
24. सिमलीपाल बाघ परियोजना - उड़ीसा
25. सुनावेदा बाघ परियोजना - उड़ीसा
26. रणथंभौर बाघ परियोजना - राजस्थान
27. सरिस्का बाघ परियोजना - राजस्थान
28.कालकड़ मुन्दाथुरई बाघ परि. - तमिलनाडु
29. मुदुमलाई बाघ परियोजना - तमिलनाडु
30. दुधवा बाघ परियोजना - उत्तर प्रदेश
31. पीलीभीत बाघ परियोजना - उत्तर प्रदेश
32. जिम कार्बेट बाघ परियोजना - उत्तराखंड
33. बुक्सा बाघ परियोजना - पश्चिमी बंगाल
34.सुंदरवन बाघ परियोजना - पश्चिमी बंगाल
35. सत्कोसिया बाघ परियोजना - उड़ीसा
36. अचानकमार बाघ परियोजना - छत्तीसगढ़
37. संजय दुबरी बाघ परियोजना - मध्य प्रदेश
38. बन्नेरघट्टा बाघ परियोजना - कर्नाटक
39. डांडेली अनासी बाघ परियोजना - कर्नाटक
40.उदंती एवं सीता नदी बाघ परि. - छत्तीसगढ़ 41.रातापानी बाघ परियोजना - मध्य प्रदेश
42.मेलघाट बाघ परियोजना - महाराष्ट्र
43.अमानगढ़ बाघ परियोजना - उत्तर प्रदेश
44. सत्यमंगलम बाघ परियोजना - तमिलनाडु
45. मुकुंदरा हिल्स बाघ परियोजना - राजस्थान
46. नवेगांव नागजीरा बाघ परियोजना - महाराष्ट्र
47. बोर बाघ परियोजना - महाराष्ट्र
48. राजाजी बाघ परियोजना - उत्तराखंड
49. ओरंग बाघ परियोजना - असम
50. कमलांग बाघ परियोजना - अरुणाचल प्रदेश
51.श्रीविल्लिपुथुर मेघामलाई - तमिलनाडु
52.रामगढ़ विषधारी बाघ परियोजना - राजस्थान
53.गुरू घासिदास तमोरपिंगला बाघ परि. - छत्तीसगढ़।
👉 महत्वपूर्ण बिंदु :-
• भारत में वर्तमान में कुल 53 टाइगर प्रोजेक्ट है। • भारत का सबसे नवीनतम 53 वाँ टाइगर रिजर्व हाल ही में छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्य जीव अभ्यारण के संयुक्त क्षेत्र को घोषित किया गया है।
• भारत का 52वाँ टाइगर रिजर्व राजस्थान में रामगढ़ विषधारी अभ्यारण है, जिसे 2021 में सरकार ने टाइगर रिजर्व के रूप में मान्यता दी है।• भारत का पहला बाघ रिजर्व जिम कार्बेट था। जिसे 1 अप्रैल 1973 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। हालांकि जिम कार्बेट को नेशनल पार्क का दर्जा 1936 में दिया गया था।
• भारत में सर्वाधिक टाइगर प्रोजेक्ट महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश राज्य में है। यहांँ 6- 6 टाइगर प्रोजेक्ट है।
• क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा टाइगर रिजर्व पेंच (महाराष्ट्र) है।
• क्षेत्रफल के आधार पर देश का सबसे बड़ा टाइगर प्रोजेक्ट नागार्जुन श्रीशैलम टाइगर रिजर्व आंध्र प्रदेश है।
• विश्व में सर्वाधिक ऊंँचाई पर स्थित टाइगर रिजर्व नामदफा अरुणाचल प्रदेश में है।
• देश के कुल 18 राज्यों में बाघ पाए जाते है।
• कैलाश सांखला को“टाइगर मैन ऑफ इंडिया” भी कहा जाता है।
• विश्व में सबसे अधिक बाघ भारत में पाए जाते है।
👉 भारत में बाघों की संख्या :-
• विश्व में इस समय बाघों की संख्या मात्र 4200 ही रह गई है।
• सन् 2019 में प्रकाशित बाघों पर रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2967 बाघ है।
• भारत में सबसे अधिक 526 बाघ मध्यप्रदेश में पाए जाते है।
• मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक में सबसे अधिक 524 बाघ पाये जाते है।
• 29 जुलाई को पूरे विश्व में विश्व बाघ दिवस के रुप में मनाया जाता है।
• नोट :- श्रीविल्लिपुथुर मेघामलाई बाघ परियोजना (तमिलनाडु) :- यह तमिलनाडु का नवीनतम टाइगर प्रोजेक्ट है। इसकी घोषणा वर्ष 2021 में की गई थी। तमिलनाडु में अब कुल 5 टाइगर प्रोजेक्ट हो गए है। तमिलनाडु में मेगामलाई और श्रीविलिपुथुर ग्रिजल्लड स्क्विरल वन्य जीव अभ्यारण व पेरियार टाइगर रिजर्व को मिलाकर टाइगर कॉरिडोर बनाने की मांग की जा रही थी। जिसे भारत सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
👉 भारत का 53वीं बाघ परियोजना :- हाल ही में NTCA की मंजूरी के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय पार्क और तमोर पिंगला वन्य जीव अभ्यारण के संयुक्त क्षेत्र को एक नया टाइगर रिजर्व घोषित किया है।
यह भारत का 53 वांँ टाइगर रिजर्व है। यह टाइगर रिजर्व अचानकमार, उदंती-सीतानदी और इंद्रावती रिजर्व के बाद छत्तीसगढ़ में यह चौथा टाइगर रिजर्व है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया जिले में स्थित है। जबकि तमोर पिंगला छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी में सूरजपुर जिले में स्थित है।छत्तीसगढ़ में बना यह नया टाइगर रिजर्व झारखंड और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है। यह टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के बीच में कॉरिडोर का कार्य भी करता है।
👉 भारत का 52वीं बाघ परियोजना -रामगढ़ विषधारी अभ्यारण (राजस्थान) :- रामगढ़ विषधारी अभ्यारण राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है। यह अभ्यारण रणथम्भोर टाइगर रिजर्व और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के लिए टाइगर कॉरिडोर के बीच में पड़ता है और एक बफर जोन के रूप में काम करता है। इसे 1982 में बनाया गया था। यह 252 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहांँ पर प्रमुख रूप से तेंदुआ, सांभर, जंगली सूअर, चिंकारा, भारतीय भेड़िया, सियार, लोमड़ी, लकड़बग्घा आदि पाये जाते है।
👉 एक्शन टाइगर योजना (Action tiger yojana) :- भारत में बाघों के अस्तित्व को बचाने के लिए विश्व के अनेक वन्यजीव संगठनों ने मिलकर एक्शन टाइगर नाम से एक योजना की शुरुआत राजस्थान की सरिस्का बाघ परियोजना से की है। क्योंकि पिछले वर्षों में यह बाघ परियोजना बाघों के पूर्णतया लुप्त हो जाने से खबरों में रहा था। परिणाम स्वरूप विश्व के 12 देशों के वन्यजीव संगठनों ने मिलकर बाघों के संरक्षण हेतु इस योजना की शुरुआत की। इस योजना के अंतर्गत संकटग्रस्त बाघ को बचाने के लिए 12 सुझाव दिए गये है।
📝... मछली बाघिन :- राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान में पायी जाने वाली बाघिन टी- 16 अर्थात मछली बाघिन ने 18 अगस्त 2016 को दम तोड़ दिया था।
• यह बाघिन लेडी ऑफ लेक (Lady of leak) के नाम से मशहूर थी।
• यह दुनिया की सबसे बुजुर्ग बाघिन थी।
• मछली बाघिन को ट्रैवल ऑपरेटर फॉर टाइगर (Travel operator for tiger) की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (Life time echivement award) भी दिया गया था।
• मछली बाघिन को उस समय अधिक प्रसिद्धि मिली जब उसने लड़ाई में 15 फीट लंबे मगरमच्छ को मार गिराया था।
• मछली बाघिन की उम्र लगभग 19 वर्ष थी।
• मछली बाघिन की लगभग 11 करोड़ से अधिक तस्वीरें खींची गयी थी।
• मछली बाघिन पर 15 अंतर्राष्ट्रीय फिल्में भी बनी है तथा डाक टिकट भी जारी किया गया था।
👉 वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर (World wild fund for nature) :-
• प्रकृति एवं प्राकृतिक जीवो के संरक्षण हेतु विश्वव्यापी कोष की स्थापना एक चैरिटी के रूप में 11 सितंबर 1961 को ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड) में की गई थी।
• WWF का मुख्यालय ग्लाण्ड (स्विट्जरलैंड) में स्थित है। वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर विश्व में अनेक शाखाएँ है। जो विश्व में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय योगदान दे रही है।
👉 वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया(world wild fund for nature India) :- वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर इंडिया का गठन भारत में 1969 में मुंबई में किया गया था। वर्तमान में इसका मुख्यालय दिल्ली में है। भारत में इसकी अनेक उप शाखाएँ है। जो देश भर में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय है। इस संस्था का मुख्य कार्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है तथा वन्य जीव संबंधी शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है। इस संस्था ने स्कूलों में बच्चों के लिए भारतीय प्रकृति क्लब जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की है। जिससे बच्चों को प्राकृतिक पर्यावरण एवं वन्यजीवों के प्रति जागरूक बनाया जा सके। यह संस्था पर्यावरण से जुड़े सभी मुद्दों पर गहन मंथन करती है तथा संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु पहल करती है।
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